- 10 साल में 7.16 लाख भारतीयों को मिला ग्रीनकार्ड
वॉशिंगटन
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा है कि ग्रीन कार्ड होल्डर्स हमेशा के लिए अमेरिका में नहीं रह सकते हैं। ग्रीन कार्ड रखने का मतलब यह नहीं है कि किसी को जिंदगी भर के लिए अमेरिका में रहने का अधिकार मिल गया है। सरकार के पास ग्रीन कार्ड होल्डर्स को निकालने का अधिकार है। ये बात उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कही।ग्रीन कार्ड को कानूनी तौर पर स्थायी निवासी कार्ड के नाम से जाता है। इससे अमेरिका में परमानेंट तौर पर रहने और काम करने का अधिकार मिलता है, बशर्ते व्यक्ति ऐसे अपराध में शामिल न हो जिससे इमिग्रेशन कानूनों का उल्लंघन होता हो। USA फैक्ट्स के मुताबिक, 2013 से 2022 तक अमेरिका में 7.16 लाख भारतीयों को ग्रीनकार्ड मिला है।अमेरिका में ग्रीन कार्ड रखने वाले लोगों में मेक्सिको के बाद भारतीय दूसरे नंबर पर हैं। 2022 में 1.27 लाख भारतीयों को ग्रीन कार्ड मिला है। इनके अलावा 12 लाख से ज्यादा भारतीय प्रवासी ग्रीन कार्ड की वेटिंग लिस्ट में हैं। ग्रीन कार्ड मिलने के 3 से 5 साल के अंदर कोई व्यक्ति अमेरिका की परमानेंट रेजिडेंसी के लिए अप्लाई कर सकता है।न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक वेंस के बयान के बाद ग्रीन कार्ड धारकों में यह चिंता बढ़ सकती है कि वे अचानक निर्वासित किए जा सकते हैं। कई साल से अमेरिका में रहकर कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने वाले प्रवासियों के बीच इस बात का डर फैल सकता है कि राजनीतिक फैसलों से उनका स्थायी निवास पर असर पड़ सकता है।वेंस की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’ नाम के एक वीजा प्रोग्राम को बढ़ावा दे रहे हैं। इस प्रोग्राम के तहत विदेशी नागरिक 5 मिलियन डॉलर यानी करीब 44 करोड़ रुपए देकर अमेरिका की नागरिकता हासिल कर सकते हैं। ट्रम्प ने इसे अमेरिकी नागरिकता का रास्ता बताया है।ट्रम्प ने ‘गोल्ड कार्ड’ को EB-5 वीजा प्रोग्राम का विकल्प बताया और कहा कि भविष्य में 10 लाख गोल्ड कार्ड बेचे जाएंगे। फिलहाल अमेरिकी नागरिकता के लिए EB-5 वीजा प्रोग्राम सबसे आसान रास्ता है। इसके लिए लोगों को 1 मिलियन डॉलर (करीब 8.75 करोड़ रुपए) देने होते हैं।ट्रम्प के मुताबिक यह वीजा कार्ड अमेरिकी नागरिकता के रास्ते खोलेगा। इसे खरीदकर लोग अमेरिका आएंगे और यहां बहुत ज्यादा टैक्स भरेंगे। उन्होंने दावा किया कि यह प्रोग्राम बहुत सफल होगा और इससे राष्ट्रीय कर्ज का भुगतान जल्द हो सकता है।
हमास का समर्थन करने पर भारतीय छात्रा का वीजा रद्द
अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ रही भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन का वीजा रद्द कर दिया गया है। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने आरोप लगाया है कि श्रीनिवासन ‘हिंसा-आतंकवाद को बढ़ावा देने’ और हमास का समर्थन करने वाली गतिविधियों में शामिल थीं। वीजा रद्द होने के बाद रंजनी ने अमेरिका छोड़ दिया है।DHS के मुताबिक रंजनी को F-1 स्टूडेंट वीजा के तहत कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्बन प्लानिंग में PhD करने के लिए एडमिशन मिला था। अमेरिकी विदेश विभाग ने 5 मार्च को उनका वीजा निरस्त कर दिया था। रंजनी ने 11 मार्च को खुद से अमेरिका छोड़ दिया।DHS की सचिव क्रिस्टी नोएम ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति हिंसा और आतंकवाद का समर्थन करता है, तो उसे इस देश में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।