भविष्य में उत्तराखंड देश के लिए एक मॉडल के रूप में उभरेगा : आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण
पतंजलि और नाबार्ड मिलकर सृजनात्मक कार्य को प्रभावी ढंग से संचालित कर सकते हैं : नाबार्ड के अध्यक्ष
हरिद्वार। भारत के शीर्ष ‘राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक’ (नाबार्ड) द्वारा प्रायोजित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए शीर्ष पर्यवेक्षी निकाय के रूप में एक दिवसीय आयोजन पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन के सभागार में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों में निवेश और समतापूर्ण कृषि को बढ़ावा देने पर केंद्रित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ से हुआ। बालकृष्ण ने अतिथियों का स्वागत शाल और माला पहनाकर स्मृति चिह्न भेंट करके किया। कार्यक्रम में नाबार्ड के प्रतिनिधियों एवं विशेषज्ञों ने सामूहिक सहभागिता दीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि नाबार्ड ग्रामीण उद्यमों के विकास के लिए देश की सबसे महत्त्वपूर्ण संस्था है। इसकी कई योजनाएँ पशुपालन के लिए हैं, जिनमें किसान क्रेडिट कार्ड योजना, ब्याज़ सहायता योजना, दीर्घावधि ऋण और पशुपालन आधारभूत संरचना विकास निधि आदि हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य पूंजी निवेश, स्थिर आय और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है। नाबार्ड भारत में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों का संचालन करता है, साथ ही कृषि प्रक्रियाओं को बेहतर बनाता है। इसके अलावा, नाबार्ड ने ग्रामीण क्षेत्रों में नवाचारों, सामाजिक बदलाव और सामाजिक उद्यमों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने पतंजलि की भावी योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कृषि क्षेत्र में पतंजलि की कार्य योजनाओं में किसानों की आय बढ़ाना, जैविक खेती को प्रोत्साहित करना और प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाना शामिल है। इसके अलावा, उत्तराखंड में पलायन को रोकने के लिए जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा देना भी एक प्रमुख उद्देश्य है। शहद और अन्य कृषि उत्पादों का सीधे क्रय करने के माध्यम से पतंजलि ने किसानों की आय को दोगुना करने का प्रयास किया है। वर्तमान समय डिजिटल क्रांति का है और पतंजलि ने भरूआ सोल्यूशन के अंतर्गत बी-बैंकिंग के माध्यम से किसानों को डिजिटल रूप से जोड़कर उनके ऋण की पारदर्शिता सुनिश्चित की है। इसके साथ ही पतंजलि के माध्यम से किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य भी मिल रहा है। पतंजलि जैविक अनुसंधान संस्थान ने एक मृदा परीक्षण किट (डीकेडी) भी विकसित की है जो कृषि मापदंडों जैसे पीएच, नाइट्रोजन, कार्बनिक कार्बन, फास्फोरस, पोटेशियम का निर्धारण केवल 20 मिनट में करती है। नाबार्ड के अध्यक्ष ने कहा कि सरकारी प्रयासों और कार्यकलापों के परिणामस्वरूप नाबार्ड का सहयोग पतंजलि के साथ है। पतंजलि और नाबार्ड मिलकर प्रभावी तरीके से सृजन कार्य कर सकते हैं। यह आयोजन एक बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए है। नाबार्ड सूक्ष्म वित्त के क्षेत्र में प्रमुख भारतीय संस्था के रूप में सदैव तत्पर है। नाबार्ड प्रतिनिधि सुमन कुमार ने बताया कि संस्था ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, लघु उद्योग, हस्तशिल्प, ग्रामोद्योग और अन्य संबंधित आर्थिक गतिविधियों के विकास और संवर्धन के लिए ऋण प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, यह ग्रामीण शिल्प को नियमित करने, अन्य सुविधाएँ देने और उनसे जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए भी अधिकृत है। भरुवा एग्री साइंस के कवींद्र सिंह ने ‘राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंकÓ के कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि नाबार्ड अपने लाभ का उपयोग विकास कार्यों में करता है, जिसके परिणामस्वरूप नाबार्ड ने ग्रामीण समुदायों के साथ एक सशक्त विश्वास पूंजी तैयार की है। पतंजलि रिसर्च अनुसंधान की प्रमुख डॉ. वेदप्रिया आर्या ने राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद के विषय में बताया कि एक व्यापक नियामक निकाय है जो तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण क्षेत्र में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कार्य करता है, साथ ही Non-Resident Ordinary और औषधीय पौधों की जानकारी साझा की। इस दौरान, नाबार्ड के प्रतिनिधियों ने पतंजलि फूड, पतंजलि हर्बल गार्डन और अनुसंधान केंद्र का दौरा किया और पतंजलि के प्रयासों की सराहना की। नाबार्ड प्रतिनिधियों में पंकज यादव, सुमन कुमार, भूपेन्द्र कुमावत, गुरविंदर सिंह आहूजा, शोभना सिंह, पूजा, हिमांशु फरत्याल आदि की मुख्य भूमिका रही। कार्यक्रम के समापन पर आचार्य बालकृष्ण ने अतिथियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम के आयोजकों ने अतिथियों को प्रतीक चिह्न और प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।