नई दिल्ली/ वॉशिंगटन। अमेरिका ने भारत पर 26 नहीं बल्कि 27% का टैरिफ लगाया है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी आधिकारिक आदेश इसकी पुष्टि करता है। इससे पहले टैरिफ के एलान के वक्त ट्रंप जिस तख्ती के साथ मीडिया के सामने आए थे। उस पर भारत के लिए 26% टैरिफ का जिक्र था। लेकिन ट्रंप प्रशासन की ओर से जारी आधिकारिक आदेश में भारत के लिए 27% टैरिफ की बात कही गई है। भारत पर बोलते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नई दिल्ली की ओर से जाने वाले टैरिफ को “बहुत, बहुत कठोर” बताया। उन्होंने कहा, “उनके प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) अभी-अभी (हाल ही में अमेरिका से) गए हैं… वे मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन मैंने उनसे कहा कि ‘आप मेरे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं।’ भारत हमसे 52 प्रतिशत शुल्क लेता है, इसलिए हम उनसे इसका आधा शुल्क लेंगे- 26 प्रतिशत। यह फैसला लेना बहुत कठिन रहा।”हालांकि, जब ट्रंप की ओर से जारी टैरिफ चार्ट में भारत की टैरिफ दर 26 प्रतिशत बताए जाने से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई, क्योंकि व्हाइट हाउस के आधिकारिक आदेश में 27 प्रतिशत टैरिफ की बात कही गई थी। भारत के अलावा दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, म्यांमार और अन्य देशों के लिए भी टैरिफ की दरों में घोषणा और आधिकारिक आदेश में बदलाव दिखा। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने भी अमेरिका की जवाबी टैरिफ पर प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय ने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति ने पारस्परिक शुल्क पर एक कार्यकारी आदेश जारी किया है, जिसके तहत सभी व्यापारिक साझेदारों से आयात पर 10% से 50% तक अतिरिक्त समानमूल्य शुल्क लगाया जाएगा। 10% का आधारभूत शुल्क 05 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगा और शेष शुल्क 09 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगा। अमेरिकी प्रशासन के कार्यकारी आदेश के अनुलग्नक I के अनुसार भारत पर 27% टैरिफ लगाया गया है। भारत सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी टैरिफों के एलान पर करीब से नजर बनाए हुए हैं और उसके प्रभाव की समीक्षा कर रही है। वाणिज्य मंत्रालय भारत पर लगाए गए 26 फीसदी अमेरिकी पारस्परिक टैरिफ या आयात शुल्क के प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि अमेरिका में सभी आयातों पर सार्वभौमिक 10 फीसदी टैरिफ 5 अप्रैल से और शेष 17 प्रतिशत टैरिफ 10 अप्रैल से लागू होंगे। उनका मानना है कि यह हमारे लिए झटका नहीं है। इसका प्रभाव बहुत ज्यादा नहीं होने वाला है। इसका मिलाजुला असर ही देखने को मिल सकता है। अधिकारी ने कहा, ‘मंत्रालय टैरिफ के प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है।’ उन्होंने यह भी कहा कि एक प्रावधान है कि यदि कोई देश अमेरिका की चिंताओं का समाधान करता है या उसे दूर करने का प्रयास करता है तो ट्रंप प्रशासन उस देश के खिलाफ शुल्क कम करने पर विचार कर सकता है भारत पहले से ही अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। दोनों देश इस साल की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा, ‘यह मिलाजुल प्रभाव लेकर आएगा। इसका एकतरफा परिणाम देखने को नहीं मिलेगा। भारत के लिए कोई झटका नहीं है।’
ट्रंप ने जानवरों को भी नहीं बख्शा, उस द्वीप पर भी टैरिफ जहां सिर्फ पेंग्विन
इंसान तो इंसान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने जवाबी टैरिफ का एलान करते हुए पेंग्विन्स को भी नहीं बख्शा। अंटार्कटिका का एक बंजर और निर्जन ज्वालामुखी द्वीपों का एक समूह जो ग्लेशियरों से ढका हुआ है, वह भी ट्रंप के जवाबी टैरिफ के निशाने पर आ गया है। इस आइलैंड पर ट्रंप प्रशासन ने 10% टैरिफ लगाने का एलान किया है। ट्रंप प्रशासन ने जिस पैंग्विन्स के जिस आइलैंड पर टैरिफ लगाया है, उसका का नाम है ‘हर्ड आइलैंड और मैकडोनाल्ड आइलैंड’, जो ऑस्ट्रेलिया का बाहरी क्षेत्र है। यह पृथ्वी के सबसे दूरस्थ इलाकों में से एक है। यहां ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट पर स्थित पर्थ से दो सप्ताह की नाव यात्रा के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है। यह आइलैंड पूरी तरह से निर्जन हैं। माना जाता है कि इंसानों ने इस द्वीप पर आखिरी बार लगभग 10 साल पहले कदम रखा था। फिर भी, हर्ड और मैकडोनाल्ड द्वीपों को व्हाइट हाउस की ओर से जारी उन देशों की सूची में शामिल किया गया है, जिन पर पारस्परिक टैरिफ लगाए गए हैं। आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने गुरुवार को इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति पर चुटकी ली। उन्होंने कहा, “पृथ्वी पर कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है।