महाराष्ट्र-ओडिशा-छत्तीसगढ़ को लाभ, 19 नए रेलवे स्टेशनों का होगा निर्माण, वाइब्रेंट विलेज्स कार्यक्रम-II को भी मंजूरी
नई दिल्ली(वी.एन.झा)। केंद्रीय रेल और सूचना-प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय कैबिनेट में हुए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रेल मंत्रालय की 4 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इनकी कुल लागत 18,658 करोड़ रुपये है। महाराष्ट्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के 15 जिलों को कवर करने वाली परियोजनाओं से भारतीय रेलवे का मौजूदा नेटवर्क करीब 1247 किलोमीटर बढ़ जाएगा। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने बताया कि परियोजनाओं में संबलपुर-जरापदा तीसरी और चौथी लाइन, झारसुगुड़ा-सासन तीसरी और चौथी लाइन, खरसिया-नया रायपुर-परमलकासा पांचवीं व छठी लाइन और गोंदिया-बल्हारशाह दोहरीकरण शामिल हैं। मंत्री वैष्णव ने बताया कि रेलवे लाइन विस्तार से गतिशीलता में सुधार होगा। इससे भारतीय रेलवे के लिए बेहतर दक्षता और सेवा विश्वसनीयता उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि ये मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव रेल परिचालन को सुगम बनाएंगे और भीड़भाड़ को कम करेंगे। रेल मंत्री ने बताया कि 19 नए स्टेशनों का भी निर्माण किया जाएगा। स्टेशनों के निर्माण से महाराष्ट्र में गढ़चिरौली और छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव तक कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी। उन्होंने बताया कि कनेक्टिविटी बढ़ने से लगभग 3350 गांवों और लगभग 47.25 लाख लोगों तक लाभ पहुंचेगा। रेल मंत्री के अनुसार, परियोजनाओं के चलते खरसिया-नया रायपुर-परमलकासा बलौदा बाजार जैसे नए क्षेत्र सीधे रेल कनेक्टिविटी से जुड़ सकेंगे। इसका लाभ यह होगा कि इस क्षेत्र में सीमेंट संयंत्रों सहित नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की संभावनाएं पैदा होंगी। ये मार्ग कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, चूना पत्थर जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक हैं। क्षमता वृद्धि के चलते 88.77 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। मंत्री वैष्णव ने बताया कि रेलवे पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा बचाने वाला परिवहन का कुशल साधन है। यह जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने, देश की रसद लागत को घटाने, तेल आयात (95 करोड़ लीटर) को कम करने और CO2 उत्सर्जन (477 करोड़ किलोग्राम) को घटाने में मदद करेगा, जो 19 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को केंद्रीय क्षेत्र की योजना (100% केंद्र वित्त पोषण) के रूप में वाइब्रेंट विलेज्स कार्यक्रम-II (वीवीपी-II) को मंजूरी दे दी। यह ‘सुरक्षित, संरक्षित और जीवंत भूमि सीमाओं’ के लिए विकसित भारत@2047 के दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाता है। यह कार्यक्रम वीवीपी-I के तहत पहले से ही कवर की गई उत्तरी सीमा के अलावा अंतरराष्ट्रीय भूमि सीमाओं (आईएलबीएस) से सटे ब्लॉकों में स्थित गांवों के व्यापक विकास में मदद करेगा। यह योजना लोगों को ‘सीमा सुरक्षा बलों की आंख और कान’ बनाने में मददगार साबित होगी। कुल 6,839 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ, यह कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर (यूटी), लद्दाख (यूटी), मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के चुनिंदा रणनीतिक गांवों में वित्त वर्ष 2028-29 तक लागू किया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समृद्ध और सुरक्षित सीमाओं को सुनिश्चित करने, सीमा पार अपराध को नियंत्रित करने और सीमावर्ती आबादी को राष्ट्र के साथ आत्मसात करने और उन्हें ‘सीमा सुरक्षा बलों की आंख और कान’ के रूप में विकसित करने के लिए बेहतर जीवन स्थितियां और पर्याप्त आजीविका के अवसर पैदा करना है, जो आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।यह कार्यक्रम गांव या गांवों के समूह के भीतर बुनियादी ढांचे के विकास, मूल्य श्रृंखला विकास (सहकारी समितियों, एसएचजी आदि के माध्यम से), सीमा विशिष्ट आउटरीच गतिविधि, स्मार्ट कक्षाओं जैसे शिक्षा बुनियादी ढांचे, पर्यटन सर्किट के विकास और सीमावर्ती क्षेत्रों में विविध और टिकाऊ आजीविका के अवसर सर्जित करने के लिए कार्यों/परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराएगा। हस्तक्षेप सीमा-विशिष्ट, राज्य और गांव-विशिष्ट होंगे, जो सहयोगात्मक दृष्टिकोण से तैयार ग्राम कार्य योजनाओं पर आधारित होंगे।