नई दिल्ली (वी.एन.झा)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह तीन महीने के भीतर पैक्ड फूड पर चेतावनी वाली लेबलिंग को लेकर नए नियम बनाए।कोर्ट ने ये आदेश एक PIL पर सुनवाई के दौरान दिया। इसमें मांग की गई थी कि हर पैक्ड खाने की चीज पर फ्रंट पर साफ चेतावनी दी जाए। इससे लोग यह जान सकें कि उस चीज में कितना शुगर, नमक या हानिकारक फैट है।केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि 14 हजार से ज्यादा सुझाव और रिपोर्ट्स इस मुद्दे पर आ चुकी हैं। इसके लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई है जो इन सुझावों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेगी।कोर्ट ने आदेश दिया कि यह समिति जल्दी से जल्दी रिपोर्ट तैयार करे ताकि उसी आधार पर FSSAI लेबलिंग नियमों में संशोधन किया जा सके।इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR के तहत हैदराबाद बेस्ड नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) ने भारतीयों के लिए डाइटरी गाइडलाइन जारी की है। NIN ने कहा, ‘फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के सख्त मानदंड हैं, लेकिन लेबल पर दी गई जानकारी भ्रामक हो सकती है।’कुछ उदाहरण देते हुए NIN ने कहा कि किसी फूड प्रोडक्ट को ‘नेचुरल’ कहा जा सकता है, यदि इसमें एडेड कलर्स, फ्लेवर्स और आर्टिफिशियल सब्सटेंसेस नहीं मिलाए गए हैं और यह मिनिमल प्रोसेसिंग से गुजरता है।
सरकारी विभागों में इलेक्ट्रिक वाहनों का हो उपयोग
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण में कमी लाने के लिए सरकारी विभागों को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने के संबंध में केंद्र सरकार को 30 अप्रैल तक एक प्रस्ताव पेश करने को कहा है। जस्टिस अभय एस.ओका और उज्जल भुयन की खंडपीठ ने बुधवार को एडीशनल सॉलीसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी को अप्रैल तक इस संबंध में प्रस्ताव पेश करने को कहा है।सुनवाई के दौरान भाटी ने बताया कि फिलहाल दिल्ली में 60 लाख वाहनों की वैध आयु पूरी हो चुकी है जबकि एनसीआर में वैध वाहनों के दायरे से बाहर जा चुके सड़क पर चलने वाले वाहनों की तादाद करीब 25 लाख पहुंच चुकी है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि एएसजी ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में अवैध वाहनों की आवाजाही की बड़ी तादाद बताई है। हम वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर विचार करने के दौरान इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करेंगे। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र को इसके आगे निर्देशित किया है कि वह रिमोट सेंसिंग तकनीक के इस्तेमाल को लेकर तीन महीने में अपना अध्ययन पूरा करें। ताकि वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सके।