- व्हाइट हाउस ने रॉयटर्स, ब्लूमबर्ग और AP को प्रेस पूल से बाहर किया
वॉशिंगटन
अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने व्हाइट हाउस प्रेस पूल से रॉयटर्स, ब्लूमबर्ग और एसोसिएटेड प्रेस (AP) न्यूज एजेंसी को बाहर करने का फैसला किया है। व्हाइट हाउस ने 15 अप्रैल को कहा कि इन न्यूज एजेंसी को प्रेस पूल में अब स्थायी जगह नहीं मिलेगी।प्रेस पूल एक छोटा सा ग्रुप होता है, जिसमें करीब 10 मीडिया संस्थान होते हैं। इसमें कुछ पत्रकार और फोटोग्राफर शामिल होते हैं। ये लोग राष्ट्रपति की हर छोटी-बड़ी गतिविधि को कवर करते हैं और बाकी पत्रकारों को जानकारी देते हैं।व्हाइट हाउस प्रेस पूल की शुरुआत 1950 के दशक में राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर के समय हुई थी। दरअसल राष्ट्रपति को कवर करने के लिए पत्रकारों की भीड़ बढ़ने लगी। इससे निपटने के लिए पत्रकारों का एक छोटा सा ग्रुप बनाया गया। इसे प्रेस पूल नाम दिया गया।प्रेस पूल में कौन से मीडिया हाउस होंगे यह तय करने की जिम्मेदारी व्हाइट हाउस करेस्पोंडेंस एसोसिएशन (WHCA) के पास थी। यह पत्रकारों का एक स्वतंत्र संगठन है। इसकी स्थापना साल 1914 में हुई थी। बाकी मीडिया संस्थान जो वॉशिंगटन से सीधे जुड़े नहीं हैं, वे अप-टु-डेट रिपोर्टिंग, वीडियो और ऑडियो के लिए इन्हीं न्यूज एजेंसियों पर निर्भर हैं।प्रेस पूल की जिम्मेदारी WHCA को इसलिए दी गई थी ताकि व्हाइट हाउस पक्षपाती तरीके से पत्रकारों को न चुन सके और सभी को निष्पक्ष जानकारी मिले। हालांकि, एक सदी से ज्यादा समय से चली आ रही ट्रेडिशन को अब बदल दिया गया है। अब व्हाइट हाउस ही यह तय करेगा कि राष्ट्रपति के करीब कौन सा मीडिया हाउस पहुंच सकता है और कौन नहीं।
खुद अमेरिका छोड़ने वाले अप्रवासियों को पैसे और हवाई टिकट देगा अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वे ऐसे अप्रवासियों को पैसे और हवाई टिकट देंगे, जो खुद अमेरिका छोड़कर जाना चाहते हैं। ट्रम्प ने कहा कि उनकी प्राथमिकता अभी अपराधियों को देश से बाहर करना है। लेकिन कुछ समय के बाद बाकी अप्रवासियों के लिए यह प्रोग्राम शुरू किया जाएगा।ट्रम्प ने कहा कि इस ‘सेल्फ-डिपोर्टेशन प्रोग्राम’ के तहत अप्रवासियों को हवाई किराया और कुछ आर्थिक मदद दी जाएगी। उन्होंने कहा, “हम उन्हें कुछ पैसे और हवाई टिकट देंगे। अगर वे अच्छे लोग हैं और हम उन्हें वापस लाना चाहते हैं, तो हम उनकी कानूनी रूप से वापसी के लिए भी काम करेंगे।”ट्रम्प की यह घोषणा उस सख्त नीति से अलग है, जिसमें उन्होंने जनवरी 2025 से बड़े पैमाने पर निर्वासन शुरू करने का वादा किया था। उनकी सरकार ने पहले ही स्कूलों, अस्पतालों और धार्मिक जगहों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में छापेमारी की अनुमति दे दी है। हालांकि, अब तक निर्वासन के आंकड़े बाइडेन प्रशासन की तुलना में कम रहे हैं।