- सैनिक कभी नहीं मरता! : सिविल अस्पताल का 199वां अंगदान “जवान” के नाम
- मातृभूमि और देशवासियों की रक्षा और सेवा का एकमात्र उद्देश्य रखने वाले बीएसएफ के वीर जवान ने मृत्यु के बाद भी यह साबित कर दिया: डॉ. राकेश जोशी, चिकित्सा अधीक्षक, सिविल अस्पताल, अहमदाबाद
अहमदाबाद । बीएसएफ जवान राधाकृष्ण राय के अंगदान से हृदय, एक लीवर और दो किडनी सहित चार अंगों का दान प्राप्त हुआ। सैनिक कभी मरता नहीं, वे अमर हो जाते हैं। उनका अंतिम सांस भी देशसेवा के लिए काम आता है, यह बात अहमदाबाद सिविल अस्पताल में सही मायने में सिद्ध हुई। अहमदाबाद सिविल अस्पताल में बीएसएफ के एक जवान के ब्रेन डेड होने के बावजूद उनके परिजनों ने अंगदान कर परोपकार भाव के साथ देशसेवा का परिचय दिया।इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए सिविल सुपरिंटेंडेंट डॉ. राकेश जोशी ने बताया कि सिविल अस्पताल, अहमदाबाद में 04 जुलाई 5 को 199वां अंगदान हुआ।मूल रूप से पश्चिम बंगाल के निवासी 48 वर्षीय राधाकृष्ण राय बीएसएफ में गांधीनगर में अपनी सेवाएं दे रहे थे। 29 जून को नाना चिलोडा के पास शाम करीब 8 बजे एक्टिवा के फिसलने से उनके सिर में गंभीर चोट लगी।इसके बाद उन्हें पहले गांधीनगर सिविल अस्पताल ले जाया गया और उसी दिन देर रात गहन उपचार के लिए सिविल अस्पताल, अहमदाबाद स्थानांतरित किया गया।सिविल अस्पताल में 72 घंटे से अधिक की गहन चिकित्सा के बाद 3 जुलाई को डॉक्टरों ने राधाकृष्ण राय को ब्रेन डेड घोषित किया।सिविल अस्पताल की अंगदान टीम द्वारा मरीज के परिजनों को ब्रेन डेड स्थिति और अंगदान के बारे में काउंसलिंग करने पर वहां मौजूद परिजनों ने उनके अंग दान करने की सहमति दी।बीएसएफ जवान राधाकृष्ण राय के अंगदान से प्राप्त हृदय को सिविल मेडिसिटी कैंपस के यू.एन. मेहता अस्पताल और एक लीवर तथा दो किडनी को सिविल मेडिसिटी कैंपस के किडनी अस्पताल के जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित किया जाएगा। सिविल अस्पताल द्वारा अब तक कुल 199 अंगदाताओं के माध्यम से 652 अंगों का दान प्राप्त हुआ है, जिसमें 174 लीवर, 362 किडनी, 13 अग्न्याशय, 63 हृदय, 32 फेफड़े, 6 हाथ और 2 छोटी आंत शामिल हैं। इसके अलावा, सिविल अस्पताल स्किन बैंक को अब तक 21 त्वचा दान भी प्राप्त हुए हैं। डॉ. जोशी ने कहा कि, अहमदाबाद सिविल अस्पताल में हुए 199वें अंगदान के साथ अब तक 633 लोगों को नया जीवन प्रदान किया जा सका है। बीएसएफ जवान राधाकृष्ण राय का अंगदान का यह कदम न केवल मानवता की सेवा है, बल्कि हमारे वीर जवानों की सच्ची पहचान है। जीवनभर भारतीय सेना में सेवा और मृत्यु के बाद अंगदान कर कई परिवारों के जीवन में नई आशा जगाने के लिए हम सभी बीएसएफ जवान और उनके परिवार के हमेशा ऋणी रहेंगे ।

