- केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री और मुख्यमंत्री के करकमलों द्वारा आणंद में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का शिलान्यास
- सहकारी क्षेत्र के विकास में रही कमियों की पहचान कर और इसके विकास के लिए 60 नई पहलें की गईं
- त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी देश भर में नए युग की सहकारिता संस्कृति का निर्माण करेगी :भूपेंद्र पटेल
गांधीनगर । केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शनिवार को शिक्षा नगरी आणंद में दुनिया की पहली सहकारी यूनिवर्सिटी त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान बजट में इसकी घोषणा करने के बाद केवल चार महीने में ही यह महत्वाकांक्षी शैक्षणिक संस्थान कार्यान्वित होने जा रहा है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में सहकारी गतिविधियों का दायरा बढ़ने वाला है। सहकारी आधार पर टैक्सी और बीमा सेवा शुरू करने के आयोजन के बीच इस क्षेत्र के लिए आवश्यक कुशल मानव संसाधन इस यूनिवर्सिटी से उपलब्ध होगा। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के शिलान्यास अवसर पर सहकारी क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य और इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना गरीब और ग्रामीण लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। इस मंत्रालय ने देश भर के 16 अग्रणी सहकारी नेताओं के साथ बैठकें कर उनके विचार जाने गए थे। सहकारी क्षेत्र के विकास में रही कमियों की पहचान कर इसके विकास के लिए 60 नई पहलें की गई हैं। सहकारी गतिविधियों को व्यापक बनाने के लिए लागू की गईं ये सात पहलें इस क्षेत्र को पारदर्शी, लोकतांत्रिक और सर्वसमावेशी बनाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना सहकारी क्षेत्र की सभी कमियों को दूर करने की एक पहल है। यह यूनिवर्सिटी 500 करोड़ रुपए की लागत से 125 एकड़ क्षेत्र में आकार लेगी और नीति निर्माण, डेटा विश्लेषण, अनुसंधान और दीर्घकालिक विकास रणनीति बनाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि देश में 40 लाख कर्मचारी और 80 लाख बोर्ड सदस्य सहकारी गतिविधियों से जुड़े हैं। 30 करोड़ लोग यानी देश का हर चौथा नागरिक सहकारिता आंदोलन का हिस्सा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह यूनिवर्सिटी सहकारी कर्मचारियों और सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए सुचारू व्यवस्था के अभाव को दूर करेगी। शाह ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी केवल प्रशिक्षित कर्मचारी ही नहीं, बल्कि त्रिभुवनदास पटेल जैसे समर्पित सहकारी नेता भी तैयार करेगी। सहकारी क्षेत्र में होने वाली भर्तियों में इस यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त करने वालों को नौकरी मिलेगी। इसके कारण सहकारी संस्थानों की भर्तियों में लगने वाले भाई-भतीजावाद के आरोप खत्म होंगे और पारदर्शिता आएगी। उन्होंने देश भर के सहकारी विशेषज्ञों से इस यूनिवर्सिटी के साथ जुड़कर अपना योगदान देने का आह्वान किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस सर्वसमावेशी कदम पर संतोष व्यक्त किया। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर रखना उचित है। केंद्र सरकार ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सहकारी गतिविधियों में उनके योगदान को ध्यान में रखकर यह नामकरण किया है। त्रिभुवनदास पटेल जब अमूल से सेवानिवृत्त हुए, तब 6 लाख महिलाओं ने एक-एक रुपए एकत्र कर उन्हें 6 लाख रुपए की भेंट दी थी। उस भेंट को उन्होंने सेवा गतिविधियों के लिए दान कर दिया था। उन्होंने ही डॉ. वर्गीज कुरियन को उच्च अभ्यास के लिए विदेश भेजा था। शाह ने डॉ. कुरियन के योगदान को भी महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम में अमित शाह, भूपेंद्र पटेल सहित अन्य महानुभावों ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (एनसीईआरटी) द्वारा सहकारिता पर तैयार पाठ्यपुस्तक के दो मॉड्यूल का विमोचन किया। शाह ने इस मॉड्यूल की तरह गुजरात के शैक्षिक पाठ्यक्रम में भी सहकारी गतिविधियों को शामिल करने का प्रेरक सुझाव दिया।मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस अवसर पर कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के पावन अवसर पर त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के शिलान्यास का ऐतिहासिक समारोह आणंद की धरती पर आयोजित हुआ है, जो भारत के सहकारिता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह यूनिवर्सिटी देश की पहली सहकारी यूनिवर्सिटी के रूप में सहकारिता के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगी। इस उत्कृष्ट पहल से सहकारी क्षेत्र को शिक्षा, अनुसंधान और नीति निर्माण के स्तर पर मजबूत आधार मिलेगा, जो नए युग की सहकारिता संस्कृति का निर्माण करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी का आरंभ सहकारिता क्षेत्र के प्रेरणास्रोत त्रिभुवनदास पटेल को श्रद्धांजलि है। gujaratvaibhav.com

