- मुख्यमंत्री ने सहकारी बैंकों के अध्यक्षों के साथ राज्य में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत ऋण सहायता कार्यों की समीक्षा की
- मुख्यमंत्री की ग्रामीण मातृ शक्ति के प्रति विशेष संवेदना, सहकारी बैंकों से ऋण वितरण के लिए जिला स्तरीय
शिविर आयोजित करने का अनुरोध, हर तीन महीने में समीक्षा बैठक आयोजित करने के दिए निर्देश
गांधीनगर
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य के सहकारी बैंकों से ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों और सखी मंडलों को ऋण प्रदान करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के साथ-साथ उसमें और अधिक गति लाने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को गांधीनगर में सहकारी बैंकों के अध्यक्षों और गुजरात आजीविका संवर्धन कंपनी (जीएलपीसी), महिला एवं बाल विकास तथा ग्राम विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। ग्राम विकास मंत्री राघवजी पटेल, सहकारिता राज्य मंत्री जगदीश विश्वकर्मा तथा ग्राम विकास राज्य मंत्री कुंवरजी हळपति भी इस बैठक में सहभागी हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प को इस प्रकार अधिक से अधिक ऋण वितरित कर साकार किया जा सकता है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि स्वयं सहायता समूह छोटे व्यवसाय-रोजगार करने वाले समूह होते हैं, सहकारी बैंक उन्हें जितना अधिक ऋण वितरित करेंगे, स्वयं सहायता समूह उतना ही बेहतर काम कर पाएंगे। राज्य में कृषि गतिविधियों से जुड़े 1.76 लाख, उत्पादन और व्यापार से जुड़े 16,608 और अन्य आजीविका से जुड़े 6973 सहित कुल 2.84 लाख ग्रामीण स्वयं सहायता समूह कार्यरत हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकार की ओर से इन स्वयं सहायता समूहों को अधिकतम 20 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान करने का प्रावधान है। इस उद्देश्य के लिए राज्य सरकार की गुजरात आजीविका संवर्धन कंपनी ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों को ऋण उपलब्ध करवाने में सहायता करती है। समीक्षा बैठक में दिए गए प्रेजेंटेशन में बताया गया कि केंद्र सरकार ने इस वर्ष 2025-26 में 88,200 स्वयं सहायता समूहों को 1240 करोड़ रुपए का ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें से 13 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों को ऋण वितरित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों को त्वरित और आसान ऋण मिल सके, इस भावना के साथ सहकारी बैंकों को ऐसे ऋण के लिए जिला स्तर पर शिविर का आयोजन करने के भी दिशा-निर्देश दिए। इतना ही नहीं, उन्होंने ऐसे शिविरों में प्राप्त आवेदनों की त्वरित स्क्रूटनी से लेकर ऋण मिलने तक की सारी प्रक्रियाओं को राज्य सरकार के संबंधित विभागों के मार्गदर्शन में और अधिक तेज बनाने तथा बैंकों को स्वयं सहायता समूहों के प्रति उदारता दिखाते हुए बिना वजह एक भी आवेदन को अस्वीकृत ना करने के निर्देश दिए। बैठक में इस संबंध में तैयार किए गए एक्शन प्लान के बारे में भी प्राथमिक चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने सहकारी बैंकों के अध्यक्षों, प्रबंध निदेशकों (एमडी) और पदाधिकारियों से विशेष रूप से आग्रह किया कि महिलाओं को ऋण लेने की प्रक्रिया समझाने और उचित प्रशिक्षण के लिए यह आवश्यक है कि क्लस्टर लेवल पर वर्कशॉप-शिविर भी आयोजित किए जाएं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं आर्थिक उपार्जन के साथ-साथ परिवार का आधार-सहारा होती हैं, इसलिए उन्हें ऐसे ऋण दिए जाने पर उनके द्वारा ऋण की चुकौती सुनिश्चित ही है। लिहाजा, सहकारी बैंकों को ऋण के एनपीए में बदलने को लेकर आशंकित रहने की जरूरत नहीं है।उन्होंने बैठक में ग्राम विकास मंत्री के स्तर पर नियमित रूप से हर तीन महीने में सहकारी बैंकों के अध्यक्षों और राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों के बीच ऐसी समीक्षा बैठक आयोजित करने का सुझाव भी दिया। gujaratvaibhav.com

