पुणे
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने पुणे स्थित दक्षिणी कमान मुख्यालय का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने दक्षिणी क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति, ऑपरेशनल तैयारियों और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा की। उनके इस दौरे का उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और तैयारियों का मूल्यांकन करना था, खासकर हाल ही में संपन्न ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों के अनुभवों के आधार पर। दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने जनरल चौहान को व्यापक प्रस्तुति दी। इसमें वर्तमान सुरक्षा स्थिति, लॉजिस्टिक्स, प्रशासन और ऑपरेशनल रेडीनेस पर विस्तार से जानकारी दी गई। सीडीएस ने दक्षिणी कमान के सैनिकों की पेशेवर क्षमता और हाल के अभियानों में तीनों सेनाओं के आपसी तालमेल की सराहना की। सीडीएस ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों का विशेष रूप से जिक्र किया और बताया कि किस तरह सेना, नौसेना और वायुसेना ने मिलकर आपसी तालमेल के साथ मिशन को अंजाम दिया। उन्होंने इसे ‘इंटर-सर्विसेस सिनर्जी’ का बेहतरीन उदाहरण बताया, जिससे देश की रक्षा रणनीति और मजबूत होती है। जनरल चौहान ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए मौजूदा वैश्विक हालात और उसमें मौजूद खतरे का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अब युद्ध की प्रकृति पारंपरिक नहीं रही, बल्कि ‘नॉन-ट्रेडिशनल’ और ‘एसिमेट्रिक’ खतरे अधिक चुनौतीपूर्ण हो गए हैं।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक युद्ध में टेक्नोलॉजी की भूमिका जमीन, समुद्र, आकाश, अंतरिक्ष और साइबर जैसे सभी क्षेत्रों में बढ़ती जा रही है। इस स्थिति में सेनाओं को हर मोर्चे पर तैयार रहना होगा और तेजी से बदलती परिस्थितियों के मुताबिक खुद को ढालना होगा।सीडीएस ने कहा कि भारत की सुरक्षा को प्रभावी तरीके से सुनिश्चित करने के लिए खुफिया जानकारी, निगरानी तंत्र और साइबर क्षमताओं में ज्यादा निवेश करना होगा। उन्होंने नवाचार, साझा ऑपरेशनों और समन्वय की जरूरत पर भी बल दिया, जिससे राष्ट्रीय हितों की रक्षा की जा सके।यह दौरा ऐसे समय पर हुआ है जब भारत अपनी सुरक्षा रणनीति को और अधिक एकीकृत और आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रहा है। सीडीएस का यह दौरा न केवल दक्षिणी कमान की तैयारियों की समीक्षा थी, बल्कि यह भी संकेत था कि भारत भविष्य के खतरों को लेकर गंभीर है और अपनी सेनाओं को हर प्रकार की चुनौती के लिए तैयार कर रहा है।

