अहमदाबाद । अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. राकेश जोशी ने बताया कि 19 जुलाई को सिविल हॉस्पिटल के अस्मिता भवन में स्वास्थ्य सचिव धनंजय द्विवेदी के मार्गदर्शन में राज्य भर की 6 सरकारी मेडिकल कॉलेजों और 13 GMER मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटलों के डीन, अधीक्षकों, मेडिसिन, एनेस्थेसिया विभाग के फैकल्टी, रेजिडेंट और नर्सिंग स्टाफ सहित लगभग 225 कर्मचारियों के लिए ब्रेन डेड डिक्लेरेशन सिम्पोजियम का आयोजन किया गया। इसमें राज्य भर की विभिन्न हॉस्पिटलों से आए 225 से अधिक लोगों को ब्रेन डेड मरीज के लक्षण और उनकी पहचान, ब्रेन डेड मरीज का प्रबंधन, ब्रेन डेड की पुष्टि के लिए एपनिया टेस्ट कैसे करना है, और ब्रेन डेड मरीज के परिजनों से काउंसलिंग कब और कैसे करनी है, जैसे विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दी गई। सिविल मेडिसिटी की किडनी हॉस्पिटल के निदेशक और SOTTO के संयोजक डॉ. प्रांजल मोदी ने इस अवसर पर सभी को बताया कि वर्तमान समय में विभिन्न अंग विफलता के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, और इसका एकमात्र समाधान अंगदान को अधिक से अधिक बढ़ावा देना है। स्वास्थ्य सचिव धनंजय द्विवेदी ने कहा कि इस सेमिनार का उद्देश्य राज्य की सभी हॉस्पिटलों में अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल जैसी अंगदान के लिए एक इकोसिस्टम स्थापित करना है, ताकि राज्य की सभी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटलों में ICU में किसी भी ब्रेन डेड मरीज की पहचान कर, उसका प्रबंधन करते हुए ब्रेन डेड घोषित किया जा सके। उन्होंने बताया कि अंगदान के लिए सहमति मिले या न मिले, इसके बारे में सोचे बिना एक प्रोटोकॉल के हिस्से के रूप में सिस्टम स्थापित करना होगा, ताकि ICU में किसी भी संदिग्ध ब्रेन डेड मरीज की आवश्यक कार्यवाही कर उसे ब्रेन डेड घोषित किया जाए। उन्होंने कहा कि अंग विफलता से पीड़ित मरीज को अंग मिलने से न केवल उस मरीज की, बल्कि उसके परिजनों, मित्रों और आसपास के कई लोगों की समस्याएँ हल हो सकती हैं। यदि एक अंगदान से एक व्यक्ति की भी जिंदगी बचती है, तो ऐसा कोई अवसर नहीं चूकना चाहिए। इस अवसर पर ब्रेन डेड घोषित करने के लिए आवश्यक मेडिकल और तकनीकी पहलुओं के अलावा, सिविल हॉस्पिटल मॉडल की तरह सभी जगह अधिकारियों को सकारात्मक दृष्टिकोण और टीम तैयार कर काम करने की सलाह दी गई।
सिविल हॉस्पिटल में गुप्त से रूप में 201वाँ अंगदान, 2 किडनी और लिवर का दान
अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल में पिछले साढ़े चार वर्षों में 201 अंगदानों को अंजाम दिया गया है, जिसके माध्यम से 660 अंगों का दान प्राप्त हुआ है और 641 व्यक्तियों को इसके जरिए नया जीवन प्राप्त हुआ है।

