अहमदाबाद । कलोल के शैलेशभाई दंताणी का 2 साल का बेटा आर्यन पेट के टीबी से पीड़ित है और बिस्तर पर पड़ा हुआ है. 6 महीने पहले उसकी मां का निधन हो गया था. लगभग 3 दिन पहले उसे लगातार खांसी आना शुरू हुआ और धीरे-धीरे उसकी तबीयत और खराब होती गई. उसकी बिगड़ती स्थिति से घबराकर, उसके चाचा, चाची और दादी शुरू में उसे इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल ले गए. जब कोई खास सुधार नहीं हुआ, तो उसे बाल रोग विशेषज्ञ के पास रेफर किया गया, जिन्होंने छाती का एक्स-रे कराने की सलाह दी. छाती के एक्स-रे में श्वसनमार्ग में कोई चीज़ फंसी होने का पता चला. आर्यन की गंभीर स्थिति और निजी अस्पताल के इलाज का खर्च वहन करने में असमर्थ होने के कारण, परिवार वाले उसे पहले गांधीनगर सिविल अस्पताल ले गए, जहाँ से 16 जुलाई सुबह 11:30 बजे, आर्यन को एम्बुलेंस में अहमदाबाद सिविल अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी आईसीयू में लाया गया था.
डॉक्टरों ने आर्यन की जांच की तो सामान्य हवा में उसका ऑक्सीजन स्तर 80 प्रतिशत था और उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, और उसकी श्वासनली में कोई चीज़ फंसी होने का संदेह हुआ. ड्यूटी पर मौजूद पीडियाट्रिक सीनियर रेजिडेंट द्वारा तुरंत इंट्यूबेशन किया गया और आर्यन को वेंटिलेटरी सपोर्ट पर रखा गया. तुरंत सुबह 11:50 बजे उसे ब्रोंकोस्कोपी के लिए ले जाया गया. डॉ. राकेश जोशी (एचओडी पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग) द्वारा डॉ. शकुंतला (प्रोफेसर एनेस्थीसिया) और डॉ. भरत महेश्वरी के सहयोग से मात्र 15 मिनट में ही उसकी श्वासनली से सुपारी का टुकड़ा बाहर निकाला गया था. आर्यन की सर्जरी बहुत तेजी से और सटीकता के साथ की गई थी.
जिससे ऑपरेशन के बाद उसकी रिकवरी बहुत आसान रही और उसकी तकलीफ में तत्काल और उल्लेखनीय सुधार होने लगा. इसके बाद उसे आगे की निगरानी और इलाज के लिए पीडियाट्रिक आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया. ऑपरेशन के 24 घंटे के भीतर उसे ऑक्सीजन सपोर्ट भी हटा दिया गया और दूसरे दिन से उसे मुंह से खाना देना भी शुरू कर दिया गया. डॉ. जोशी ने आगे बताया कि पीडियाट्रिक सर्जन द्वारा समय पर निदान और विशेषज्ञ उपचार का यह मामला एक उत्कृष्ट उदाहरण है और सिविल अस्पताल अहमदाबाद जैसे सरकारी अस्पताल में मुफ्त में मिलने वाला ऐसा उत्कृष्ट इलाज अंतिम छोर के गरीब मरीजों के लिए जीवनरेखा के समान है।

