मुंबई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कबूतरखानों को बंद करने के आदेश को लेकर किए जा रहे दावों पर सख्त टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि हमने मुंबई में कबूतरखानों को बंद करने का कोई आदेश पारित नहीं किया। बल्कि हमने नगर निगम के आदेश पर रोक लगाने से परहेज किया है। कोर्ट ने कहा कि कबूतरखानों को बंद करना है या नहीं, इसके लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाना चाहिए। क्योंकि मानव जीवन सर्वोपरि है। हाल में जब मुंबई मे कबूतरखानों को बंद किया गया तो विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया था कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद कबूतरखाने बंद कर दिए गए हैं बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने यह भी कहा कि लोगों की सेहत सर्वोपरि महत्व और चिंता का विषय है और हम इस मुद्दे का अध्ययन करने और सरकार को सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त करने पर विचार करेंगे।पीठ ने कहा कि हमें केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता है। कुछ कबूतरखाने सार्वजनिक स्थान पर हैं, जहां हजारों लोग रहते हैं। इसलिए संतुलन होना जरूरी है। कुछ ही लोग हैं जो कबूतरों को खाना खिलाना चाहते हैं। अब सरकार को निर्णय लेना है। इसमें कुछ भी विरोधाभासी नहीं है। सरकार और बीएमसी को इस पर फैसला लेना होगा कि हर नागरिक के सांविधानिक अधिकार सुरक्षित रहें, न कि केवल कुछ इच्छुक व्यक्तियों के। हाईकोर्ट ने कहा कि सभी मेडिकल रिपोर्ट कबूतरों के कारण होने वाले नुकसान की ओर इशारा करती हैं। इसलिए मानव जीवन सर्वोपरि है।मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को निर्धारित करते हुए हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के महाधिवक्ता को उपस्थित रहने के लिए कहा। ताकि विशेषज्ञ समिति गठित करने का आदेश पारित किया जा सके।

