यूक्रेन जंग खत्म करने को लेकर मिले थे पुतिन-ट्रम्प
नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी को फोन किया। फोन कॉल पर पुतिन ने पीएम मोदी को अलास्का में ट्रंप के साथ हुई बैठक के बारे में जानकारी दी। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट में पुतिन के साथ हुई बातचीत की जानकारी दी। पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा कि मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन को उनके फोन कॉल और अलास्का में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी हालिया मुलाकात के बारे में जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद। भारत ने यूक्रेन विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का लगातार आह्वान किया है। इस संबंध में सभी प्रयासों का भारत समर्थन करता है। मैं आने वाले दिनों में हमारे निरंतर आदान-प्रदान की आशा करता हूं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 15 अगस्त को अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक की थी। इस बैठक में यूक्रेन में युद्ध विराम को लेकर चर्चा की गई। हालांकि, इसमें रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में संघर्ष विराम लागू करने पर सहमति नहीं बनी। यह बैठक ऐसे वक्त में हुई थी जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदने पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और अमेरिका के कदम को अन्यायपूर्ण और बेतुका करार दिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे। अब रूसी राष्ट्रपति और पीएम मोदी के बीच बातचीत से साफ है कि अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ रूस भारत के साथ खड़ा है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई मौकों पर कह चुके हैं कि उनकी तरफ से भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए लगाए गए 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ का असर देखने को मिला है और पुतिन इसी वजह से उनके साथ बैठक के लिए तैयार हुए हैं। ट्रंप के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट न्यूज इंटरव्यू में चेतावनी दे चुके हैं कि अगर पुतिन और ट्रंप की बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलता है तो भारत को ज्यादा टैरिफ के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसे में अलास्का बैठक के बाद भारत का अपने सबसे बड़े निर्यात केंद्र (अमेरिका) से आगे भी व्यापार में संघर्ष जारी रह सकता है। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर मुझे भारत पर और टैरिफ लगाने पड़े तो मैं जरूर करूंगा, लेकिन हो सकता है कि मुझे ऐसा करने की जरूरत न पड़े।’
शांति-सौहार्द बनाए रखने पर सहमति,चीनी समकक्ष के साथ बैठक में बोले विदेश मंत्री जयशंकर, भारत के साथ मिलकर काम करेंगे:चीन
चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत पहुंच गए हैं। दिल्ली पहुंचने पर एयरपोर्ट पर चीनी विदेश मंत्री का स्वागत किया गया। इसके बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने सीमा विवाद, द्विपक्षीय संबंधों को लेकर चर्चा की।वांग यी मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे. इसके अलावा उनकी एक मीटिंग राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी होनी है. चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ लड़ाई प्रमुख प्राथमिकता है। मैं हमारे विचारों के आदान-प्रदान की प्रतीक्षा कर रहा हूं। कुल मिलाकर उम्मीद है कि हमारी चर्चा भारत और चीन के बीच एक स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी संबंध बनाने में योगदान देगी। जो हमारे हितों की पूर्ति करेगा और हमारी चिंताओं का समाधान करेगा। आप चीन में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन से ठीक पहले भारत आएं हैं। हमने इसकी अध्यक्षता के दौरान चीनी पक्ष के साथ मिलकर काम किया है। हम आपके लिए अच्छे परिणामों और निर्णयों के साथ एक सफल शिखर सम्मेलन की कामना करते हैं। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच 24वें दौर की वार्ता के लिए आपका और आपके प्रतिनिधिमंडल का मैं भारत में स्वागत करता हूं। अक्तूबर 2024 में कजान में हमारे नेताओं की मुलाकात के बाद से यह किसी चीनी मंत्री की पहली यात्रा भी है। यह अवसर हमें अपने द्विपक्षीय संबंधों को पूरा करने और समीक्षा करने का अवसर प्रदान करता है। यह वैश्विक स्थिति और आपसी हित के कुछ मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने का भी उपयुक्त समय है।विदेश मंत्री वांग यी की यात्रा पर चीन ने कहा कि उनकी भारत यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच बनी सहमति और पिछले दौर की सीमा वार्ता के दौरान लिए गए फैसलों पर मिलकर काम करना है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि वांग की यात्रा के माध्यम से चीन भारत के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करता है ताकि नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण आम सहमति को साकार किया जा सके। उच्च स्तरीय आदान-प्रदान को कायम रखा जा सके। राजनीतिक विश्वास को बढ़ाया जा सके। व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके। मतभेदों को उचित तरीके से निपटाया जा सके और चीन-भारत संबंधों के सतत, सुदृढ़ और स्थिर विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

