नई दिल्ली
संसद के मानसून सत्र आज (21 अगस्त) को समाप्त हुआ। यह सत्र 21 जुलाई से शुरू हुआ था। पूरे सत्र में कुल 21 बैठकें हुईं। लोकसभा में 120 घंटे चर्चा का समय निर्धारित था सिर्फ 37 घंटे ही चर्चा हो सकी। वहीं राज्यसभा में 41 घंटे चर्चा हुई।इस दौरान लोकसभा में 12 बिल और राज्यसभा में 15 बिल पास हुए। सबसे चर्चित बिल गिरफ्तार पीएम-सीएम और मंत्रियों को हटाने वाला संविधान संशोधन बिल रहा। इसे जेपीसी के पास भेजने का प्रस्ताव पारित हुआ।सत्र की शुरुआत राज्यसभा के उपसभापति जगदीप धनखड़ के बीच सत्र में इस्तीफे के साथ हुई। पूरे सत्र के दौरान विपक्ष ने बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा और विरोध प्रदर्शन किया, जिससे कार्यवाही नहीं हो सकी।28 और 29 जुलाई को ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा हुई जिसका समापन पीएम मोदी के जवाब के साथ हुआ। 18 अगस्त को देश के सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों पर विशेष चर्चा शुरू हुई लेकिन बेनतीजा रही।लोकसभा में 419 प्रश्न एजेंडे में रखे गए थे लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण सिर्फ 55 प्रश्नों का ही उत्तर दिया जा सका। वहीं, राज्यसभा में 285 प्रश्न एजेंडे में रखे गए लेकिन 14 प्रश्न का जवाब दिया जा सके।संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन की कार्यवाही के दौरान लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि सदन में 120 घंटे चर्चा का समय निर्धारित किया गया था सिर्फ 37 घंटे ही चर्चा हो सकी। इसके साथ लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।उधर, राज्यसभा में अमित शाह ने 3 बिल जेपीसी में भेजे जाने के लिए रखे। अश्विनी वैष्णव ने ऑनलाइन गेमिंग बिल चर्चा के लिए रखा। हालांकि विपक्ष लगातार नारेबाजी करता रहा। बाद में इसे राज्यसभा से भी पास कर दिया गया।इसके बाद राज्यसभा भी अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्षी सांसद बिहार SIR पर चर्चा कराने की मांग करते रहे। उनके विरोध और हंगामे के कारण दोनों सदनों में आखिरी दिन भी कार्यवाही नहीं हो सकी।राज्यसभा ने गुरुवार को तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को संयुक्त समिति (जॉइंट कमेटी) को भेजने का प्रस्ताव मंजूर कर दिया। इन विधेयकों में वह प्रावधान भी शामिल है, जिसके तहत अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर आपराधिक मामलों में 30 दिनों से अधिक समय तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें पद से हटाया जा सकेगा। इन तीनों बिलों को अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में पेश किया था। लोकसभा ने भी इन पर चर्चा के बाद इन्हें संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव पारित किया। समिति में कुल 31 सदस्य होंगे, जिनमें 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा से होंगे। अब समिति को इन विधेयकों की गहन समीक्षा करने और रिपोर्ट पेश करने का दायित्व सौंपा गया है।
लोकसभा में 37 घंटे चर्चा से खफा MP, सांसदों से वसूलो, सैलरी से की जाए भरपाई
लोकसभा में चर्चा के लिए 120 घंटे तय थे, लेकिन केवल 37 घंटे ही चर्चा हो सकी. इसमें बड़ा हिस्सा ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का रहा. अधिकांश समय हंगामे में बीता, जिससे विधेयक बिना पर्याप्त चर्चा के पारित किए गए. सदन की कार्यवाही को देखते हुए दमन और दीव से निर्दलीय सांसद ने ऐसी मांग की है जिससे वह सुर्खियों में हैं.दरअसल, केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव के निर्दलीय सांसद उमेश पटेल ने बैनर लेकर संसद भवन परिसर में प्रोटेस्ट किया. उन्होंने कहा कि सदन न चलने पर सांसदों का वेतन और अन्य लाभ रोके जाएं. उमेश पटेल ने कहा कि अगर सदन की कार्यवाही नहीं होती है, तो इसके खर्च का पैसा सांसदों की सैलरी से काटा जाना चाहिए. उमेश पटेल बैनर लेकर पहुंचे थे, जिस पर लिखा था – “माफी मांगो, सत्ता पक्ष और विपक्ष माफी मांगो”. उन्होंने सरकार से मांग की कि सदन न चलने पर सांसदों को वेतन और अन्य लाभ न मिलें. उन्होंने यह भी कहा कि इस सत्र में सदन पर जो खर्च हुआ, वह सांसदों की जेब से वसूल किया जाना चाहिए, क्योंकि जब सदन ही नहीं चला, तो जनता क्यों इस खर्च का भुगतान करे.

