12%, और 28% वाले स्लैब खत्म होंगे, रोजाना इस्तेमाल की चीजें सस्ती होंगी
नई दिल्ली
जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने पर राज्य मंत्रियों के समूह ने गुरुवार को केंद्र के 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो स्लैब संरचना अपनाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। बिहार के उपमुख्यमंत्री और जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने वाले मंत्री समूह के संयोजक सम्राट चौधरी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बतायार कि छह सदस्यीय राज्य मंत्रिस्तरीय पैनल ने 12 और 28 प्रतिशत की कर स्लैब को हटाने के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया है। चौधरी ने समिति की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए केंद्र के दोनों प्रस्तावों को मंत्रिसमूह ने स्वीकार कर लिया है।” उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि केंद्र के प्रस्ताव में अति विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर 40 प्रतिशत कर लगाना भी शामिल है। पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि उनके राज्य ने 40 प्रतिशत जीएसटी दर के ऊपर एक अतिरिक्त कर लगाने का प्रस्ताव किया है, ताकि कारों और हानिकारक वस्तुओं जैसी अति विलासिता की वस्तुओं पर वर्तमान कर की दर को बरकरार रखा जा सके। भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र के प्रस्ताव में नए जीएसटी स्लैब के कार्यान्वयन के बाद केंद्र और राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान का उल्लेख नहीं किया गया है। वर्तमान में, वस्तु व सेवा कर (GST) 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की चार-स्तरीय संरचना है। खाद्य पदार्थों पर या तो 0 या 5 प्रतिशत कर लगता है, जबकि विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर 28 प्रतिशत कर लगता है। 28 प्रतिशत की स्लैब के अतिरिक्त, कारों जैसी विलासिता की वस्तुओं पर विभिन्न दरों पर उपकर लगाया जाता है।
इससे पहले, जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने पर राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह की महत्वपूर्ण बैठक गुरुवार को हुई। दरों को युक्तिसंगत बनाने पर गठित 6 सदस्यीय मंत्रिसमूह (जीओएम) की अध्यक्षता बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने की । अन्य सदस्य उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह, पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा और केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को जीएसटी परिषद द्वारा क्षतिपूर्ति उपकर, स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा तथा दर युक्तिकरण पर गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) को बताया था, “दरों को युक्तिसंगत बनाने से आम आदमी, किसानों, मध्यम वर्ग और एमएसएमई को बड़ी राहत मिलेगी, साथ ही एक सरल, पारदर्शी और विकासोन्मुखी कर व्यवस्था सुनिश्चित होगी।”

