रूसी तेल : जिन्हें दिक्कत, वो नहीं लें, हम मजबूर नहीं करते , पाकिस्तान को लेकर मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते, मत भूलो लादेन कहां मिला था
नई दिल्ली (वी.एन.झा)।विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता में कुछ ‘रेड लाइन्स’ तय किए हुए हैं। रेड लाइन्स मतलब एक ऐसी सीमा, जिसके पार कोई समझौता नहीं किया जा सकता। नई दिल्ली में आयोजित इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में शनिवार को बोलते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आगे बोलते हुए कहा कि सरकार किसानों व छोटे उत्पादकों के हितों से किसी भी हाल में समझौता नहीं करेगी।
उन्होंने साफ कहा कि यह हमारे लिए न सिर्फ आर्थिक, बल्कि सामाजिक सरोकारों से जुड़ा मुद्दा है और यही वार्ता में भारत की मूल प्राथमिकता है। जयशंकर ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। लेकिन इस वार्ता की सफलता या असफलता इस पर निर्भर करेगी कि भारत अपनी शर्तों पर कितना कायम रहता है। उन्होंने कहा कि हमारी ‘रेड लाइन्स’ किसानों और छोटे उत्पादकों से जुड़ी हैं, और सरकार का संकल्प है कि उनके हितों की रक्षा की जाएगी। जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कार्यशैली पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ट्रंप जिस तरह से विदेश नीति को सार्वजनिक तौर पर चलाते हैं, वह पहले कभी नहीं देखा गया। यह परंपरागत अमेरिकी नीति से बड़ा बदलाव है और पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है। उन्होंने जोड़ा कि यह बदलाव केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर असर डाल रहा है। भारत-अमेरिका संबंधों में हाल ही में तनाव तब बढ़ा जब ट्रंप ने भारतीय सामान पर शुल्क दोगुना कर दिया। इसके अलावा, रूस से भारत द्वारा सस्ता कच्चा तेल खरीदने और उसे यूरोप व अन्य जगहों पर बेचने को लेकर भी अमेरिका ने आरोप लगाए। इस पर जयशंकर ने कहा कि अमेरिका का यह आरोप बेहद अजीब है, क्योंकि अगर उन्हें भारतीय तेल या पेट्रोलियम उत्पाद पसंद नहीं, तो वे खरीदें ही नहीं। उन्होंने कहा कि भारत किसी को खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता, लेकिन अमेरिका और यूरोप खुद खरीदते हैं। भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम कराने का दावा कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आईना दिखाया। विदेश मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि हमने पाकिस्तान के मामले में कभी भी किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की। पाकिस्तान के साथ मध्यस्थता को लेकर भारत का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है और आगे भी रहेगा। जयशंकर ने कहा कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष के मुद्दे पर हमने 1970 से लेकर अब तक 50 साल में कभी भी किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की। भारत में हमेशा से राष्ट्रीय सहमति रही है कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते हैं। जयशंकर ने आगे कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान के साथ अपने पुराने रिश्तों को भूल रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकी लादेन 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में ही मिला था।जयशंकर ने कहा- अमेरिका और पाकिस्तान का एक इतिहास है,और वे इसे बार-बार नजरअंदाज करते हैं। यह पहली बार नहीं है। कुछ देश सुविधा के लिए राजनीति करते हैं, जिसमें कुछ रणनीतिक फायदे हो सकते हैं।जयशंकर ने इस धारणा को भी खारिज किया कि अमेरिका से तनाव के बीच भारत-चीन संबंध बेहतर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों रिश्तों को जोड़कर देखना गलत विश्लेषण है। भारत अपने पड़ोसी चीन से जुड़ी चुनौतियों को अलग ढंग से देखता है और इसका अमेरिकी व्यापार वार्ता से कोई लेना-देना नहीं है।
अमेरिका जाने वाली डाक सेवाओं पर लगी रोक, ट्रंप के टैरिफ के बीच सरकार का बड़ा ऐलान
ट्रंप टैरिफ वार के बीच भारत ने अमेरिका पर एक्शन लिया है। डाक विभाग (डीओपी) ने शनिवार को कहा कि उसने 25 अगस्त से अमेरिका जाने वाली सभी प्रकार की डाक वस्तुओं की बुकिंग अस्थायी रूप से निलंबित करने का निर्णय लिया है।हालांकि, इस निलंबन से 100 डॉलर (करीब 8,700 रुपए) तक की कीमत वाले पत्रों, दस्तावेजों और उपहारों को छूट दी गई है। संचार मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन छूट प्राप्त श्रेणियों को सीबीपी और यूएसपीएस से आगे स्पष्टीकरण मिलने के बाद, अमेरिका में स्वीकार और प्रेषित किया जाना जारी रहेगा। इसमें आगे कहा गया है, “विभाग सभी हितधारकों के साथ समन्वय में विकसित स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और जल्द से जल्द सेवाओं को सामान्य करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।”डाक विभाग ने अमेरिकी प्रशासन की ओर से 30 जुलाई, 2025 को जारी किए गए कार्यकारी आदेश पर ध्यान दिया है, जिसके तहत 29 अगस्त, 2025 से 800 डॉलर तक के मूल्य के सामानों के लिए “शुल्क-मुक्त न्यूनतम छूट” वापस ले ली जाएगी।इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका के लिए भेजी जाने वाली सभी अंतर्राष्ट्रीय डाक वस्तुएं, चाहे उनका मूल्य कुछ भी हो, देश-विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) टैरिफ ढांचे के अनुसार सीमा शुल्क के अधीन होंगी।हालांकि, 100 डॉलर तक के मूल्य की उपहार वस्तुएं शुल्क से मुक्त रहेंगी। कार्यकारी आदेश के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय डाक नेटवर्क के माध्यम से शिपमेंट पहुंचाने वाले परिवहन वाहक, या अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (CBP) की ओर से अनुमोदित अन्य “योग्य पक्ष”, डाक शिपमेंट पर शुल्क वसूलने और भेजने के लिए बाध्य हैं।जबकि CBP ने 15 अगस्त, 2025 को कुछ दिशानिर्देश जारी किए, “योग्य पक्षों” के पदनाम और शुल्क वसूली के तंत्र से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं और प्रेषण अपरिभाषित रहता है।परिणामस्वरूप, अमेरिका जाने वाली एयरलाइन कंपनियों ने परिचालन और तकनीकी तैयारी की कमी का हवाला देते हुए 25 अगस्त, 2025 के बाद डाक खेप स्वीकार करने में असमर्थता व्यक्त की है।

