नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जिन पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है, उन्होंने सलवा जुडूम को खत्म करने वाले फैसले के जरिए नक्सलियों को दो दशक तक जिंदा रखा। एक इंटरव्यू में शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी सवाल उठाया और कहा कि उन्हें यह जवाब देना चाहिए कि ऐसे व्यक्ति क्यों चुना गया, जो ‘वामपंथी सोच से सहानुभूति’ रखता है और जिनकी वजह से एक ऐसा नागरिक सुरक्षा समूह खत्म हुआ जो नक्सलियों का सफाया कर सकता था। जुलाई 2011 में जस्टिस सुदर्शन रेड्डी और जस्टिस एस.एस. निज्जर ने मिलकर छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में चल रहे सलवा जुडूम अभियान को गैरकानूनी और असांविधानिक घोषित किया था। उस समय छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार थी और रमन सिंह मुख्यमंत्री थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि सलवा जुडूम का गठन राज्य सरकार का उस सांविधानिक जिम्मेदारी से पीछे हटने जैसा है, जिसमें नागरिकों को सुरक्षा देने के लिए एक प्रशिक्षित और स्थायी पुलिस बल होना चाहिए। शाह ने इंटरव्यू में कहा, नक्सलियों ने स्कूलों को तबाह कर दिया था। वहां सीआरपीएफ और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद रातों-रात उन्हें हटा दिया गया। कई जगहों पर सुरक्षा बलों पर हमले हुए। सुदर्शन रेड्डी से ज्यादा राहुल गांधी को जवाब देना चाहिए कि ऐसा व्यक्ति क्यों चुना गया। इसी विचारधारा की वजह से नक्सलियों को सुरक्षा मिली। शाह ने कहा कि सलवा जुडूम उन आदिवासियों ने बनाया गया था, जो शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य चाहते थे। उन्होंने कहा, यह उनकी रक्षा के लिए बना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खत्म कर दिया। गृहमंत्री ने कहा कि इस फैसले के बाद ‘आत्मरक्षा का अधिकार’ आदिवासियों से छीन लिया गया, जबकि उस समय नक्सलवाद ‘अपने आखिरी दौर’ में था। उन्होंने कहा, यह सब सुप्रीम कोर्ट के दस्तावेज में है। उसी फैसले ने नक्सलवाद को दो दशक और जिंदा रखा। केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के नाम का समर्थन करते हुए कहा कि यह स्वाभाविक है कि यह पद दक्षिण भारत के किसी व्यक्ति को मिले, क्योंकि राष्ट्रपति पूर्व से और प्रधानमंत्री उत्तर और पश्चिम से आते हैं। शाह ने कहा, उपराष्ट्रपति का पद दक्षिण भारत के किसी व्यक्ति को मिलना स्वाभाविक था क्योंकि राष्ट्रपति पूर्वी भारत से हैं और प्रधानमंत्री पश्चिम व उत्तर भारत से।

