नई दिल्ली
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आने वाले 40 वर्षों के लिए बेहद महत्वाकांक्षी खाका तैयार किया है। इस रोडमैप में मंगल ग्रह पर 3डी प्रिंटेड घर बनाना, इंसानों को मंगल पर उतारना, चांद पर खनन करना और वहां इंसानी ठिकाना बनाना जैसी बड़ी योजनाएं शामिल हैं। यह रोडमैप पूरे देशभर में किए गए विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है और हाल ही में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के मौके पर इसे अंतिम रूप दिया गया। इसरो के रोडमैप के मुताबिक, भारत का लक्ष्य है कि वर्ष 2047 तक चांद पर एक क्रू स्टेशन यानी इंसानों के रहने और काम करने लायक ठिकाना बनाया जाए। यहां खनिज और संसाधनों की खुदाई होगी। चांद की सतह पर चलने वाले मानवयुक्त वाहन काम करेंगे। चांद पर ही ईंधन भंडारण केंद्र बनाए जाएंगे, ताकि दूर ग्रहों की यात्राओं और चांद पर लंबे समय तक रुकने के लिए मदद मिल सके।अभी तक इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी मार्क-III है, जो 4 टन तक का पेलोड भू-स्थिर कक्षा (जीटीओ) में और करीब 8 टन तक का पेलोड निचली पृथ्वी की कक्षा (एलईओ) में ले जा सकता है। लेकिन भविष्य के लिए इसरो बहुत बड़ी छलांग की तैयारी कर रहा है।इसरो की तरफ से चंद्र मॉड्यूल प्रक्षेपण यान (एलएमएलवी) नाम का नया रॉकेट बनाया जा रहा है। यह 119 मीटर ऊंचा होगा (करीब 40 मंजिला इमारत जितना)। इसमें इतनी क्षमता होगी कि यह 80 टन तक का पेलोड निचली पृथ्वी की कक्षा में और 27 टन तक का पेलोड चांद की कक्षा में ले जा सकेगा। यह रॉकेट 2035 तक तैयार होने की उम्मीद है और इसी से भारत पहली बार इंसानों को चांद पर भेजेगा (लक्ष्य वर्ष 2040)।इसरो की योजना है कि अगले चार दशकों में मंगल पर इंसानों को भेजा जाए और वहां 3डी प्रिंटेड घरों में इंसानों का ठिकाना बनाया जाए। यह काम चरणबद्ध तरीके से होगा। पहले मंगल पर उतरने की तैयारी होगी, उसके बाद लंबी अवधि तक ठहरने योग्य बुनियादी ढांचा बनाया जाएगा।वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ISRO को दो बड़े लक्ष्य दिए थे। इसमें 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चांद पर उतारना शामिल है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से कहा है कि वे ब्रह्मांड की गहराइयों में झांकने वाली डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन की योजनाएं भी बनाएं, ताकि मानवता को लाभ मिल सके। बता दें कि हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक वाणिज्यिक मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा की। आने वाले गगनयान मिशन भी भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता को मजबूत करेंगे।

