नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने शीर्ष अदालत और देशभर के हाईकोर्ट में महिला न्यायाधीशों के कम प्रतिनिधित्व पर चिंता जाहिर की। इसे लेकर बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पास किया। एसोसिएशन ने प्रस्ताव में कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश और कॉलेजियम से अनुरोध किया जाता है कि वे सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायिक नियुक्तियों के आगामी दौर में अधिक महिला न्यायाधीशों की पदोन्नति पर तत्काल और उचित विचार करें। बार निकाय ने कहा कि यह रिकॉर्ड में दर्ज है कि उत्तराखंड, त्रिपुरा, मेघालय और मणिपुर जैसे कई उच्च न्यायालयों में कोई महिला न्यायाधीश नहीं है। देशभर में उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लगभग 1100 स्वीकृत पद हैं। जिनमें से लगभग 670 पर पुरुष और केवल 103 पर महिलाएं कार्यरत हैं। जबकि शेष रिक्त हैं। एसोसिएशन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) इस बात पर गहरी निराशा व्यक्त करता है कि सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में हुई नियुक्तियों में बार या बेंच से किसी भी महिला न्यायाधीश को पदोन्नत नहीं किया गया। जबकि 2021 से सुप्रीम कोर्ट में किसी भी महिला न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं हुई है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट की बेंच में केवल एक महिला न्यायाधीश कार्यरत है। बार निकाय ने कहा कि एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने 24 मई और 18 जुलाई को भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों सहित उच्च न्यायपालिका में पदों पर कम से कम आनुपातिक प्रतिनिधित्व महिलाओं द्वारा भरा जाए।उन्होंने कहा कि एससीबीए का दृढ़ विश्वास है कि न्यायपीठ में अधिक लैंगिक संतुलन न केवल निष्पक्ष और समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, बल्कि न्यायपालिका में जनता के विश्वास को मजबूत करने, न्यायिक दृष्टिकोण को समृद्ध करने और न्याय की सर्वोच्च संस्था में हमारे समाज की विविधता को प्रतिबिंबित करने के लिए भी जरूरी है।

