- गुजरात और मेवाड़ी संस्कृति के संगम से उठी आनंद की हिलोरें, ‘वाइब्रेंट गुजरात कल्चरल प्रोग्राम में उमड़े उदयपुराइटस्, कार्यक्रम में दिखी गुजरात की कला, संस्कृति, व्यंजन और परंपरा की झलक
गांधीनगर/उदयपुर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ विजन को साकार करते हुए रविवार को उदयपुर के फील्ड क्लब में ‘वाइब्रेंट गुजरात कल्चरल प्रोग्राम’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में गुजरात और मेवाड़ की समृद्ध संस्कृतियों का अनूठा मिलन देखने को मिला, जिससे उदयपुरवासी मंत्रमुग्ध हो गए। गुजरात सरकार के टूरिज्म कॉरपोरेशन ऑफ गुजरात लिमिटेड की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों राज्यों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम का उद्घाटन पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक, गुलाबचंद कटारिया ने किया। इस दौरान गुजरात के पर्यटन मंत्री मुलुभाई बेरा, राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया और शहर विधायक ताराचंद जैन सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। बड़ी संख्या में लोग पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचे। महिलाओं ने रंग-बिरंगी चनिया चोली पहनी, तो पुरुषों ने राजस्थानी धोती-कुर्ता और मेवाड़ी पाग व मारवाड़ी साफे में अपनी शान दिखाई। कार्यक्रम की शुरुआत गुजरात के पारंपरिक लोक नृत्यों से हुई, जिसमें तलवार रास, गोफ गुंथन और मणियारो रास ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद राजस्थान की पहचान ‘घूमर’ नृत्य की प्रस्तुति ने पूरे माहौल में चार चांद लगा दिए। मशहूर गायक पार्थिव गोहिल ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस आयोजन में गुजरात के स्वादिष्ट व्यंजनों, जैसे खमण-ढोकला और फाफड़ा, के स्टॉल्स भी लगाए गए। मुख्य अतिथि गुलाबचंद कटारिया ने इस तरह के कार्यक्रमों को दोनों राज्यों की संयुक्त सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन सिर्फ पर्यटन को ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता है। गुजरात के पर्यटन मंत्री मुलुभाई ने भी इस रिश्ते को और गहरा करने की बात कही, जो दोनों राज्यों के खान-पान, रहन-सहन और परंपराओं में झलकता है। यह कार्यक्रम इस बात का प्रमाण है कि विविधता ही भारत की सबसे बड़ी ताकत है।

