मुंबई। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने शनिवार को एक कार्यक्रम में नौकरशाही की पारदर्शिता को लेकर कई बाते कही।उन्होंने बताया कि सरकार ने शासन में आते ही चुपचाप कई सुधार शुरू किए थे। साथ ही उन्होंने कहा कि अब केंद्र सरकार और राज्य संचालित कंपनियों में नियुक्तियों में विशेषज्ञता, योग्यता और प्रतिष्ठा को प्राथमिकता दी जा रही है। केंद्र सरकार की नियुक्तियों में अब वरिष्ठ नौकरशाहों और सार्वजनिक उपक्रमों में शीर्ष पदों पर तैनाती सिर्फ अनुभव के आधार पर नहीं, बल्कि डोमेन की विशेषज्ञता, योग्यता और साख को ध्यान में रखकर की जा रही है। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने मुंबई स्थित आईआईएम के दीक्षांत समारोह में यह बात कही। मिश्रा ने कहा कि 2014 से कर्मियों के प्रबंधन में जो रणनीतिक बदलाव शुरू हुए थे। वे अब एक नए युग की सिविल सेवा के निर्माण की दिशा में ले जा रहे हैं। इस बदलाव से वरिष्ठ पदों जैसे संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव और सचिव स्तर की नियुक्तियां अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष हुई हैं। उन्होंने बताया कि 2016 में वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती के लिए मल्टी-सोर्स फीडबैक प्रणाली लागू की गई। इसमें वरिष्ठों, कनिष्ठों, सहकर्मियों और बाहरी हितधारकों से फीडबैक लेकर निर्णय लिए जाते हैं। इससे अधिकारियों की निर्णय लेने की क्षमता, जवाबदेही, कामकाज और ईमानदारी जैसे गुणों का आकलन किया जाता है।मिश्रा ने कहा कि मिशन कर्मयोगी ने सिविल सेवाओं के प्रशिक्षण की तस्वीर बदल दी है।आई.जीओटी प्लेटफॉर्म पर 3,300 से अधिक कोर्स मौजूद हैं और 1.3 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी इससे जुड़ चुके हैं। इनमें 50 लाख से अधिक अधिकारियों ने भूमिका-विशेष प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। इसे अब वार्षिक मूल्यांकन प्रणाली से भी जोड़ा गया है।

