महेसाणा । महेसाणा जिले के सतलासणा तालुका के जशपुरीया में आयोजित ‘प्राकृतिक कृषि: प्रकृति के शरण में’ परिसंवाद में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि भारत में कृषि केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि संस्कृति और जीवनशैली का हिस्सा है। पहले परंपरागत खेती बिना रासायनिक खाद या कीटनाशकों के होती थी, लेकिन हाल के दशकों में रासायनिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता, पानी के स्रोत और मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है। प्राकृतिक खेती अब आवश्यकता है। राज्यपाल ने बताया कि प्राकृतिक खेती से मिट्टी में कार्बन बढ़ता है, जिससे उसकी उर्वरता और उत्पादन क्षमता में सुधार होता है। एक देसी गाय के गोबर और गोमूत्र से 30 एकड़ तक खेती संभव है, जिससे लागत कम और मुनाफा अधिक होता है। उन्होंने कुरुक्षेत्र में 180 एकड़ में प्राकृतिक खेती के अनुभव साझा किए, जहां मिट्टी की गुणवत्ता सुधरी और उत्पादन बढ़ा। इससे पहले, राज्यपाल ने ‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार’ के तहत सर्वरोग निदान शिविर और किसान शामजीभाई चौधरी के प्राकृतिक खेती फार्म का दौरा किया।
उन्होंने प्राकृतिक उत्पादों के स्टॉल का अवलोकन कर किसानों से चर्चा की।

