नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि भारत की मैक्रो-इकोनॉमिक बुनियादी स्थितियां अब भी बहुत मजबूत हैं और देश एक अस्थिर दुनिया में स्थिरता का वाहक बन गया है। कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025 में बोलते हुए मल्होत्रा ने इस मजबूती का श्रेय कम मुद्रास्फीति, मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार, संकीर्ण चालू खाता घाटा और बैंकों व कॉरपोरेट्स के मजबूत बैलेंस शीट को दिया।उन्होंने कहा कि यह सरकार के नीति निर्माताओं, नियामकों और नियंत्रित संस्थाओं के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। हाल की चुनौतियों के बावजूद, हमारी अर्थव्यवस्था लचीले विकास के संतुलन में स्थिर नजर आ रही है। यह एक बड़ी उपलब्धि है।उन्होंने कहा है कि अमेरिकी आयात शुल्क में बढ़ोतरी, व्यापार प्रतिबंधों और अनिश्चितताओं के बावजूद वैश्विक अर्थव्यवस्था अब तक उम्मीद से अधिक मजबूती दिखा रही है। उन्होंने कहा, “विकास ने अनुमानित रुझानों को पीछे छोड़ दिया है। भले ही अनिश्चितता समकालीन विमर्श का एक स्थायी हिस्सा बन चुकी है, लेकिन वास्तविक अर्थव्यवस्था पर इसका असर अब तक सीमित रहा है। आने वाले समय में इसका स्वरूप और स्पष्ट होगा। gujaratvaibhav.com

