नई दिल्ली । स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौतों को खांसी की सिरप से जोड़ने वाली खबरों पर स्पष्टीकरण जारी किया है। मंत्रालय ने साफ किया है कि इन खबरों का संज्ञान लेकर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त टीम ने घटनास्थल का दौरा किया था। साथ ही राज्य के अधिकारियों के साथ समन्वय में विभिन्न कफ सिरप के नमूनों सहित कई नमूने एकत्र किए गए। इन नमूनों की अब तक जांच में किसी भी सिरप के नमूनों में घातक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकोल या एथिलीन ग्लाइकोल की मौजूदगी नहीं पाई गई है।मंत्रालय ने बताया कि एनसीडीसी, एनआईवी, सीडीएससीओ समेत विभिन्न संस्थानों की संयुक्त टीम ने मौके पर जाकर सिरप, रक्त और अन्य नमूने एकत्र किए थे। मध्य प्रदेश की राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने भी तीन नमूनों की जांच की, जिनमें डाइएथिलीन ग्लाइकोल या एथिलीन ग्लाइकोल अनुपस्थित थे। वहीं एनआईवी पुणे की जांच में एक मामले में लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण की पुष्टि हुई है।इससे पहले, राजस्थान में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही के साथ ही प्रिसक्रिप्शन लिखने में प्रोटोकॉल का पालन करने तथा रोगियों को प्रिसक्रिप्शन से ही दवा उपलब्ध कराने तथा रोगियों द्वारा बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवा नहीं लेने के संबंध में एडवाइजरी भी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि सभी चिकित्सक दवा लिखते समय एडवाइजरी की पूर्णत: पालना सुनिश्चित करें। बच्चों को दवाई लिखते समय निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन किया जाए। रोगी बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवा का सेवन नहीं करें। निदेशक जनस्वास्थ्य ने बताया कि प्रदेश में मौसमी बीमारियों सहित अन्य सामान्य बीमारियों से बचाव, उपचार एवं अन्य जानकारी के राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम नंबर 0141—2225624 पर किसी भी समय सम्पर्क किया जा सकता है।

