नई दिल्ली (वी.एन.झा)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने सभी याचिकाओं पर सरकार से विस्तृत जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।जस्टिस जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा- हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल जवाब की कॉपी याचिकाकर्ताओं के वकीलों को पहले से दे दें। ताकि वे भी जल्द से जल्द अपना जवाब दाखिल करें।बेंच ने एक शतरंज खिलाड़ी की याचिका पर भी सुनवाई की। इसपर सरकार को निर्देश दिया कि ई-स्पोर्ट्स गेम्स की आड़ में ऑनलाइन जुआ-सट्टेबाजी चलाने वाले प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई करें। मामले में सभी याचिकाकर्ताओं की मांग है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुआ प्लेटफॉर्म को बैन किया जाए।प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के तहत देश में रियल मनी गेमिंग पर बैन लगाया जाएगा। यह बिल 20 अगस्त को लोकसभा और 21 अगस्त को राज्यसभा से पास हुआ था। 22 अगस्त को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो के मामलों के दुरुपयोग पर जताई गहरी चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो कानून) का गलत इस्तेमाल बढ़ रहा है। अदालत ने देखा कि इस कानून का उपयोग कई बार पति-पत्नी के झगड़ों या किशोर-किशोरी के आपसी सहमति वाले संबंधों में किया जा रहा है, जो कानून की असली भावना के खिलाफ है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में मांग की गई है कि लोगों को दुष्कर्म और पॉक्सो कानून के प्रावधानों के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि देश में महिलाओं और लड़कियों के लिए माहौल और सुरक्षित बने। इस सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, ‘हम यह देख रहे हैं कि कई बार पॉक्सो एक्ट का इस्तेमाल झगड़ों या किशोरों के आपसी संबंधों में गलत तरीके से किया जा रहा है।

