नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी आर गवई ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस तरह के उपकरणों का उपयोग न्यायतंत्र के खिलाफ भी किया जा रहा है। CJI गवई ने बताया कि उन्होंने अपनी भी एआई से बनाई गई फेक तस्वीरें देखीं हैं। उन्होंने कहा, “हां, हमने भी कई रूपांतरित तस्वीरें देखीं।” दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें जेनेरेटिव एआई को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है। एडवोकेट कार्तिकेय रावल ने याचिका दायर करते हुए कहा कि एआई और जेन एआई के बीच अंतर है। जेन एआई नए डेटा के आधार पर फेक तस्वीरें बनाने में माहिर है। इससे भेदभाव और रूढ़िवादी प्रथाओं समेत कई चीजों को बढ़ावा मिल सकता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि न्यायिक तंत्र में भी एआई का इस्तेमाल होने लगा है। हालांकि, न्यायिक व्यवस्था को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह एआई किसी के प्रति पक्षपात न करे और डेटा को पूरी तरह से पारदर्शी रखा जाए।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वकीलों और वादियों की ओर से न्यायाधीशों के खिलाफ लगाए जाने वाले अपमानजनक और गलत आरोपों के बढ़ते चलन पर चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि मनमुताबिक फैसला न आने पर इस तरह से परेशान करने वाला चलन बढ़ गया है। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने वादी एन पेद्दी राजू और दो वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही को बंद करते हुए ये टिप्पणी की। इसके साथ ही अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह का बर्ताव न्यायिक प्रणाली की अखंडता को कमजोर करता है और इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए। gujaratvaibhav.com

