गिलोय पर अभूतपूर्व शोध BMC Plant Biology में प्रकाशित
हरिद्वार। पतंजलि के वैज्ञानिकों ने एक अभूतपूर्व शोध करते हुए यह सत्यापित किया है कि वर्षा ऋतु में एकत्रित गिलोय औषधीय रूप से अधिक प्रभावी है।इस अवसर पर आचार्य चालकृष्ण ने कहा कि यह सोचने की बात है कि क्यों प्रक्ति से जुड़े हमारे त्यौहार हरेला और जड़ी-चूटी दिवस विशेष ऋतु में ही मनाए जाते हैं? क्यों हमारे आयुर्वेदिक ग्रंथों में लिखा गया है कि किस पौधे के किस हिस्से को कौन-सी विशेष ऋतु में एकत्रित करना चाहिए ? क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार है, या यह हमारे पूर्वजों की एक छद्म कल्पना मात्र है? इस जोथ के माध्यम से पतंजलि के वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि सनातन ग्रंथों में लिखित ऋषि-मुनियों के विवार, भारतीय संस्कृक्ति से जुड़े त्यौहार मात्र हमारे पूर्वजों की कपोल कल्पना नहीं, उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण निहित था, जो भविष्य की पीढ़ियों को ध्यान में रखकर लिखा गया था। अब समय आ गया है कि हम प्रकृक्ति की ओर लौटें, सनातन संस्कृक्तिकी ओर लौटें, और हमारे ग्रंथों में लिखित कथनों को अन्धविश्वास न समझ उनमें छिपे वैज्ञानिक दृष्टिकोण को पहचाने। इस अवसर पर पतंजलि के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्षणेय ने कहा कि आयुर्वेद के अनुसार औषधीय पौधों की प्रभावशीलता उसमें विवमान Phytochemical पर निर्भर करती है जो मौसम के साथ बदलता है। यह झीथ उस पारंपरिक जान का वैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत करता है। उन्होंने आगे कहा कि जड़ी चुटियों का सही समय पर एकत्रीकरण न केवल उनके औषधीय प्रभाव को चढ़ाएगा अपित आयुर्वेदिक औषधियों की गुणवत्ता को सुधारने में भी सहायक होगा। आयुर्वेद की अमर औषधि मानी जाने वाली गिलोय पर पतंजलि द्वारा किए इस वैज्ञानिक शोध में पतंजलि के वैज्ञानिकों ने अथक परिश्रम कर दो वर्षों तक गिलीच को एकत्र किया। इस शोध में UHPLC-PDA और HPTLC तकनीक के माध्यम से गिलोय का रासायनिक विश्लेषण किया गया जिसमें इस तथ्य कि पुष्टि हुई कि न तु में एकत्रित गिलीय अधिक प्रभावी और गुणवत्ता युक्त है। यह प्राथ Springer Nature के गिर्न जनंत BMC Plant Biology में प्रकाजित हुआ है। हमारे आयुर्वेदिक ग्रंथों में लिखित कथन के प्रत्यक्ष प्रमाण का निष्यापक जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://bmcplantbiol biomedcentral.com/ar- ticles/10.1186 8 12870 025-07532-4

