बैंक इसे लौटाए, अपनी आर्थिक हालत सुधारने में इस्तेमाल न करे
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मंदिर में चढ़ा हर एक रुपया भगवान की संपत्ति है और इका उपयोग किसी को-ऑपरेटिव बैंक की आर्थिक हालत सुधारने के लिए नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट केरल के को-ऑपरेटिव बैंकों की याचिकाओं की सुनवाई कर रहा था, जिसमें बैंकों ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। SC ने ये याचिकाएं खारिज कर दीं।हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि बैंक तिरुनेल्ली मंदिर देवस्वम् को एफडी की रकम दो महीने के भीतर लौटाएं।सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने सुनवाई की। CJI ने बैंकों के वकीलों से पूछा- क्या आप मंदिर का पैसा बैंक बचाने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं?कोर्ट ने कहा- यह धन सुरक्षित और भरोसेमंद राष्ट्रीयकृत बैंक में रखा जाना चाहिए, जहां मंदिर को ज्यादा ब्याज भी मिले। बैंक पैसा लौटाने का समय सीमा बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट से अनुरोध कर सकते हैं। केरल के तिरुनेल्ली मंदिर देवस्वम ने 2025 में स्थानीय कोऑपरेटिव बैंकों से फिक्स्ड डिपॉजिट की रकम वापस मांगी थी। बैंकों ने पैसे लौटाने से इनकार कर दिया। मंदिर ट्रस्ट का कहना था कि यह राशि मंदिर के कामकाज और रखरखाव के लिए जरूरी है, इसलिए एफडी तोड़कर तुरंत पैसा चाहिए।मंदिर का आरोप था कि बैंक न तो एफडी बंद कर रहे थे और न ही रकम वापस कर रहे। आखिरकार मंदिर ने मामला केरल हाईकोर्ट में उठाया। हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड देखने के बाद माना कि बैंक बिना किसी वैध कारण के मंदिर ट्रस्ट की जमा राशि रोक रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि बैंक दो महीने के भीतर तिरुनेल्ली देवस्वम का पूरा पैसा वापस लौटाएं।
हम नहीं चाहते AI न्यायिक प्रक्रिया पर हावी हो: CJI
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को न्यायपालिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) के बेहिसाब इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने कहा- हमें न्यायपालिका में AI और ML टूल्स के बुरे असर की जानकारी है, लेकिन इन मुद्दों को न्यायिक निर्देशों के बजाय प्रशासनिक स्तर पर निपटाया जा सकता है।याचिका कार्तिकेय रावल ने दाखिल की। उन्होंने AI जनरेटेड कंटेंट और न्यायिक प्रोसेस में इसके गलत उपयोग से वाले खतरों से सुरक्षा की मांग की थी।

