मुंबई
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर संजय मल्होत्रा की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती करते हुए इसे 5.25% कर दिया है। मजबूत आर्थिक वृद्धि (GDP) ग्रोथ और मुद्रास्फीति में नरमी के बीच आरबीआई ने नीतिगत दर में यह कटौती की है। इसके साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया। इसके अलावा महंगाई दर के अनुमान को 2.6 प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत कर दिया गया है। रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर कॉमर्शियल बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक (RBI) से कर्ज लेते हैं। रेपो रेट में कटौती होने से होम, ऑटो समेत अन्य रिटेल लोन पर ब्याज में बदलाव की संभावना है। इससे पहले, केंद्रीय बैंक ने इस साल फरवरी से जून तक रेपो दर में कुल एक प्रतिशत की कटौती की थी। वहीं अगस्त और अक्टूबर में मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया था।पॉलिसी ऐलान करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि देश में महंगाई 2.2% के निचले स्तर पर है और अर्थव्यवस्था 8% की मजबूत वृद्धि दर्ज कर रही है। उन्होंने इसे देश के लिए एक “गोल्डीलॉक्स पीरियड” (आदर्श स्थिति) बताया।आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इसके साथ ही मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ (न्यूट्रल) बनाये रखा गया है। इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक स्थिति के हिसाब से नीतिगत दर में समायोजन को लेकर फ्लैक्सिबिलिटी बनी रहेगी।मल्होत्रा ने कहा कि पिछले महीनों में अर्थव्यवस्था ने मजबूत प्रदर्शन किया है और बैंकिंग सिस्टम और भी मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा, “वित्तीय प्रणाली को और बेहतर बनाने, कारोबार करने में आसानी बढ़ाने और उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नियमों में सुधार किया गया है। हम नए साल में और भी अच्छी तरक्की करने की कोशिश करेंगे।”उन्होंने कहा कि अक्टूबर के बाद से देश में महंगाई बहुत तेजी से घट रही है और अब बहुत कम हो गई है। सरकार ने महंगाई को काबू में रखने का जो नया तरीका अपनाया था, उसके बाद पहली बार महंगाई इतनी नीचे आई है।गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि तरलता की मौजूदा स्थिति को देखते हुए रिजर्व बैंक ने सिस्टम में अतिरिक्त नकदी डालने का निर्णय लिया है। इसके लिए RBI दिसंबर महीने में 1 लाख करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्ड की खरीद करेगा। इसके अलावा 5 अरब अमेरिकी डॉलर का तीन साल का डॉलर-रुपया स्वैप भी किया जाएगा, जिससे आर्थिक प्रणाली में और स्थिरता आएगी।

