- 2011 की जनगणना को ध्यान में रखकर वार्ड सीमांकन किया जाएगा
- 27% ओबीसी आरक्षण के कारण पुरानी महानगरपालिकाओं में रोटेशन भी बदलेगा
गांधीनगर । गुजरात राज्य की मिनी विधानसभा के रूप में जानी जाने वाली स्थानीय स्वराज्य चुनाव की तैयारियां चुनाव आयोग द्वारा शुरू कर दी गई हैं। पुरानी महानगरपालिकाओं – राजकोट, अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, जामनगर, भावनगर – की अवधि मार्च 2026 में समाप्त होने वाली है। इन सभी महानगरपालिकाओं के साथ-साथ नवगठित 9 नई महानगरपालिकाओं के चुनाव एक साथ कराने की दिशा में कार्य शुरू किया गया है। इसके तहत राज्य चुनाव आयोग ने नवगठित महानगरपालिकाओं के चुनाव अधिकारियों को वार्ड सीमांकन का कार्य करने का आदेश दिया है। यह उल्लेखनीय है कि आगामी चुनाव 27% ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे, जिसके कारण सभी पुरानी महानगरपालिकाओं में रोटेशन भी बदलेगा।गुजरात में नवगठित 9 और अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, वडोदरा, भावनगर, जामनगर सहित कुल 15 म्युनिसिपल कॉरपोरेशन, 81 से अधिक नगरपालिकाएं, 33 (बनासकांठा जिले के विभाजन की मंजूरी के बाद 34) जिला पंचायतें और 257 से अधिक तालुका पंचायतों के चुनाव होने हैं। इसके पहले, नवगठित 9 म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में अगले 10 दिनों में वार्ड सीमांकन पूरा करके जनसंख्या के आधार पर आरक्षण के अनुसार सीटों का आवंटन करने के लिए राज्य चुनाव आयोग ने कलेक्टरों को आदेश दिए हैं।वर्ष 2021 में नई जनगणना नहीं हुई है। इसलिए, राज्य चुनाव आयोग ने करमसद-आणंद, मोरबी, गांधीधाम, मेहसाणा, नडियाद, नवसारी, पोरबंदर, सुरेंद्रनगर और वापी कॉरपोरेशन के लिए निर्धारित 13 वार्ड और 52 सीटों के लिए वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर सीमांकन करने का निर्देश दिया है।कल देर शाम नौ जिलों के कलेक्टरों को दिए गए आदेश में कहा गया है कि 2011 की जनगणना के ब्लॉक को तोड़े बिना, एक वार्ड से दूसरे वार्ड के बीच केवल 10% (जनसंख्या की) वृद्धि-कमी की सीमा के भीतर ही वार्ड का गठन करना होगा। इस गठन में एक पोल, मोहल्ला, माढ, वास, गली या सोसाइटी का विभाजन नहीं हो सकेगा।आयोग ने सुझाई गई पद्धति के अनुसार प्रत्येक महानगर में वार्ड की गिनती (नंबर) शहर के उत्तर दिशा के वायव्य कोने से शुरू होगी और यह ज़िगज़ैग तरीके से दक्षिण की ओर अग्नि कोने तक शहर की सीमा की ओर बढ़ेगी। इस तरह के सीमांकन में जिस वार्ड में सबसे अधिक अनुसूचित जाति (एससी) की जनसंख्या होगी, वहां से एससी आरक्षण का आवंटन जनसंख्या के अवरोही क्रम में वार्ड-वार करना होगा। यह पद्धति अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए भी लागू होगी। 10% की बजाय अब 27% ओबीसी आरक्षण के लागू होने के संबंध में आयोग ने प्रत्येक कलेक्टर को चुनाव अधिकारी के रूप में सर्वेक्षण करने की छूट दी है।27% ओबीसी आरक्षण के कारण महापौर के रोटेशन पद में फिर से बदलाव आएगा। पहले स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में 10% ओबीसी आरक्षण था, जो अब बढ़ाकर 27% कर दिया गया है। परिणामस्वरूप, अगले पांच वर्षों के दौरान महापौर पद के रोटेशन में भी बदलाव आएगा। राज्य की 17 महानगरपालिकाओं में महापौर पद का रोटेशन किया जाएगा।इस रोटेशन के लिए आगामी नवंबर-दिसंबर महीने में राज्य के शहरी विकास विभाग द्वारा अधिसूचना जारी की जाएगी। गांधीधाम, मेहसाणा, पोरबंदर, आणंद, नडियाद जैसे शहरों में अनुसूचित जाति आरक्षित सीटों से प्रतिनिधित्व का अवसर मिलने पर पहली बार इन शहरों में नगरसेवकों को महापौर पद भी मिलेगा।यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि राज्य चुनाव आयोग ने नवगठित नौ महानगरपालिकाओं के आयुक्तों को 28 जुलाई तक सभी जानकारी भेजने का निर्देश दिया है। इसके आधार पर कलेक्टर या उनके द्वारा नियुक्त चुनाव अधिकारी वार्ड सीमांकन और आरक्षण के तहत सीटों के आवंटन की प्रक्रिया पूरी करके प्रस्ताव को 4 अगस्त तक भेजने का निर्देश दिया गया है।
इस तरह, राज्य चुनाव आयोग ने आरक्षित सीटों के आवंटन के मुद्दे पर राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों से आपत्तियां और सुझाव प्राप्त करने की प्रक्रिया के बाद प्रारंभिक आदेश प्रकाशित कर दिए हैं।

