अहमदाबाद । ‘साहित्यालोक’ , गत छ: दशकों से गुजरात के साहित्य – प्रेमियों को काव्य- गोष्ठियों के द्वारा कविता की संजीवनी प्रदान करने वाली यशस्वी संस्था रही है। इसी क्रम में गत रविवार को सुबह 11:00 बजे संस्था के अध्यक्ष और ख्यातिलब्ध ग़ज़लकार डॉ.ऋषिपाल धीमान ‘ ऋषि ‘ के निवास-स्थान पर प्रोफ़ेसर एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.जैमिनि कुमार .एन .शास्त्री की अध्यक्षता में ‘ साहित्यालोक ‘ की एक भव्य और सफल काव्य – गोष्ठी सम्पन्न हुई । इस काव्य – गोष्ठी का सफल संचालन किया ग़ज़लकार एवं हास्य – व्यंग्यकार रितेश त्रिपाठी ने । सर्वप्रथम संस्था के महामंत्री चन्द्रमोहन तिवारी ने संक्षिप्त रूप से संस्था का परिचय देते हुए प्रारंभिक उद्घोष किया काव्य रसिक श्रोताओं की उपस्थित में 3:00घंटे चली इस काव्य-गोष्ठी में कुल 19 शब्द -शिल्पियों ने काव्य -पाठ किया । काव्य -गोष्ठी में लगभग हर विषय पर और हर विधा में रचनाएँ सुनने को मिलीं । ग़ज़ल और गीत की विधा को भरपूर तालियाँ मिलीं ।। दोहों और कुछ अछांदस रचनाओं की उपस्थिति को भी ख़ूब सराहा गया । श्रृंगाररस ,वीर रस ,हास्यरस व करुणरस काव्य -पाठ के मुख्य रस रहे । कविता पाठ करने वाले मुख्य रचनाकार थे — डॉ सतीन देसाई ‘ परवेज ‘ ,डॉ. जैमिनिकुमार .एन.शास्त्री, डॉ. ऋषिपाल धीमान ‘ ऋषि ‘, ओंकार अग्निहोत्री ,चन्द्रमोहन तिवारी, सुभाष मित्तल ,रितेश त्रिपाठी, हरिवदन भट्ट , दिनेश कुमार वशिष्ठ ,जितेंद्र सिंह चौहान ‘ पुष्प ‘ , डॉ नरपत वैतालिक ‘ आशिया ‘ संजीव प्रभाकर , डॉ अविनाश पाठक, आनंद सिद्धार्थ , सी.पी.वर्मा , रजनी धीमान , नमिता सिंह , ललिता वर्मा , गीतांजलि माली आदि कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ.जैमिनि कुमार. एन.शास्त्री ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में साहित्यालोक के पूर्व अध्यक्ष अश्विनी कुमार पांडेय ( स्वर्गीय), काव्यगुरु डॉ .किशोर काबरा ( स्वर्गीय) , गीतकार द्वारकाप्रसाद साँचीहर को याद करते हुए ‘ साहित्यालोक ‘ की संस्कृति और संस्कारों को नमन किया तत्पश्चात् बेहतरीन काव्य-पठन किया ।इसके अतिरिक्त विज्ञ श्रोताओं में सुमन त्रिपाठी, मीनाक्षी बेन भट्ट , श्रुति, सिद्धार्थ आदि की उपस्थिति भी उल्लेखनीय थी। अंत में गीतकार चन्द्रमोहन तिवारी जी ने संक्षिप्त रूप से धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम का समापन किया । आतिथेय धीमान की रसोई का प्रसाद लेकर सभी सदस्यों एवं अतिथियों ने यह कहते हुए घर की ओर प्रस्थान किया कि , कविता की संजीवनी, कवियों का उत्साह । काव्य-गोष्ठियों से बने, नये सृजन की राह ।

