अहमदाबाद
गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए 2002 के दंगों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में, गुजरात उच्च न्यायालय ने 19 साल बाद तीन आरोपियों को निर्दोष बरी कर दिया है। इस फैसले ने न्याय प्रक्रिया में दशकों लग जाने के बावजूद सत्य की जीत की उम्मीद को फिर से जगाया है। यह मामला 2002 के उन भयावह दंगों से जुड़ा है, जिन्होंने पूरे राज्य को हिला दिया था। इन तीनों आरोपियों पर दंगों में शामिल होने के गंभीर आरोप लगे थे, और वे लगभग दो दशकों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। निचली अदालतों में उन्हें दोषी ठहराया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने सभी सबूतों और दलीलों पर गहन विचार-विमर्श के बाद उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। इस फैसले का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह गोधरा कांड के बाद के सबसे संवेदनशील और चर्चित मामलों में से एक है। 19 साल का लंबा इंतजार, अदालती कार्यवाही और सामाजिक दबाव के बावजूद, उच्च न्यायालय ने कानूनी सिद्धांतों और न्याय के नैसर्गिक नियमों का पालन करते हुए यह निर्णय सुनाया है। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि इस फैसले के पीछे क्या विशिष्ट कारण थे और क्या सबूतों के अभाव या संदेह का लाभ दिया गया है। विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है, जिससे इस ऐतिहासिक निर्णय के पूर्ण विवरण सामने आएंगे। इस फैसले ने उन सभी लोगों में उम्मीद जगाई है जो लंबे समय से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह एक बार फिर साबित करता है कि भारतीय न्यायपालिका की प्रक्रिया धीमी हो सकती है, लेकिन अंततः न्याय की उम्मीद हमेशा बनी रहती है।

