“सहकार से समृद्धि” संकल्प को साकार करने के लिए गुजकोमासोल प्रतिबद्ध
गुजकोमासोल का टर्नओवर रु. 2239 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024–25 में रु. 9593 करोड़ तक पहुंचा
अहमदाबाद
गुजकोमासोल राज्य की शीर्ष सहकारी संस्था है। सरदार वल्लभभाई पटेल के मार्गदर्शन में त्रिभुवनदास पटेल जैसे समर्पित सहकारी नेता द्वारा अमूल की स्थापना हुई थी। यही त्रिभुवनदास पटेल ने वर्ष 1960 में गुजकोमासोल की स्थापना की। स्थापना के समय से ही खाद, दवा, बीज, कृषि उपकरणों की खरीद, भंडारण आदि जैसी कई किसानोन्मुख गतिविधियाँ गुजकोमासोल द्वारा संचालित की जा रही हैं। देश के सहकारी ढांचे के लिए यह गर्व की बात है कि आज़ादी के 75 वर्ष बाद माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदीजी के नेतृत्व में नए सहकार मंत्रालय का गठन हुआ, जिसका दायित्व सफल और सक्षम नेता माननीय अमितभाई शाह संभाल रहे हैं।
दिनांक 17/07/2017 को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा गुजकोमासोल की बागडोर मुझे सौंपी गई। तब से आज तक मैं किसान, खेती और सहयोग को केंद्र में रखकर गाँवों के आम लोगों तक लाभ पहुँचाने का कार्य कर रहा हूँ। आज गर्व के साथ कह सकता हूँ कि वर्ष 2017 में गुजकोमासोल का टर्नओवर ₹2239 करोड़ था, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर ₹10,275 करोड़ तक पहुँच गया है। वहीं, ग्रॉस प्रॉफिट ₹145.65 करोड़ से अधिक होने जा रहा है। पहले जहाँ वार्षिक नेट प्रॉफिट ₹2.5 करोड़, ₹5 करोड़ और ₹8 करोड़ तक होता था, वहीं अब यह लगभग आठ गुना बढ़कर ₹76.10 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है। इसके साथ ही किसानों की “ऑफिस वार” अब ” विद्या ” में बदल चुकी है।
आत्मा सहकारी और प्रबंधन कॉर्पोरेट स्तर का कैसा होना चाहिए, यह गुजकोमासोल में स्पष्ट दिखाई देता है। क्योंकि 22% डिविडेंड देने वाली देश की एकमात्र संस्था बनने का श्रेय भी भाजपा शासित गुजकोमासोल को जाता है। हालांकि सरकार द्वारा डिविडेंड की अधिकतम सीमा 20% तय किए जाने के कारण, वर्तमान में गुजकोमासोल 20% डिविडेंड का भुगतान कर रहा है, जबकि इससे पहले यह 22% डिविडेंड चुका चुका है. (जो पूरे देश में सबसे अधिक था)
गुजकोमासोल द्वारा की गई प्रगतियाँ और उपलब्धियाँ वाकई सराहनीय और दृष्टिगोचर हैं। उदाहरण के तौर पर, उर्वरक बिक्री में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2017 में जहाँ उर्वरकों की बिक्री ₹1584 करोड़ थी, वहीं चालू वर्ष में यह बढ़कर ₹1937 करोड़ तक पहुँच गई है, जो गुजरात के दूरदराज़ के गाँवों सहित विभिन्न क्षेत्रों में वितरित किए गए। इसी तरह, ₹20–25 करोड़ के बीजों की बिक्री के मुकाबले प्रमाणित उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का टर्नओवर बढ़कर ₹158 करोड़ तक पहुँच गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के क्षेत्र में भी गुजकोमासोल ने उत्कृष्ट कार्य किया है। वर्ष 2024–25 में लगभग 9.22 लाख मीट्रिक टन मूंगफली, सरसों, चना और तूर जैसी उपज की लगभग ₹7400 करोड़ की खरीद सरकार द्वारा निर्धारित विभिन्न केंद्रों से पूरी पारदर्शिता के साथ की गई है, जिससे किसानों का विश्वास और अधिक मजबूत हुआ है।
खाद, दवा और बीज की कार्यक्षमता को और अधिक प्रभावी बनाने के साथ-साथ विविधीकरण और मूल्यवर्धन की दिशा में बेहतर काम हो सके और “सहकार से समृद्धि” का सूत्र सही मायनों में साकार हो सके, इसके लिए पिछले चार वर्षों से “डायवर्सिफिकेशन और वैल्यू एडिशन” नामक एक नया विभाग कार्यरत है। पहले वर्ष में जहाँ ₹2.19 करोड़ का टर्नओवर हुआ था, वहीं चालू वर्ष में यह बढ़कर ₹49.70 करोड़ तक पहुँच गया है। इस विभाग के तहत मुख्य रूप से ऑर्गेनिक उत्पादों के साथ-साथ सरकार की कई योजनाओं में कार्य किए गए हैं, जिसके माध्यम से राज्य के 252 तालुकाओं में 1,78,949 किसानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ मिला है। साथ ही, गुजकोमासोल के कर्मचारियों के वेतन में भी सम्मानजनक वृद्धि की गई है। नई सहकार नीति के तहत संस्थाओं के कंप्यूटरीकरण का आह्वान किया गया है, जिसके अनुरूप गुजकोमासोल की सभी यूनिटों और डिपो को पूरी तरह कंप्यूटरीकृत कर दिया गया है। इसके अलावा, ज़िला अधिकारियों को लैपटॉप और प्रिंटर जैसी आधुनिक सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई गई हैं। संस्था की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए संस्था की विभिन्न संपत्तियों का पुनर्विकास लगभग ₹80 करोड़ की अनुमानित लागत से किया गया है। वर्तमान में गुजरात राज्य में गुजकोमासोल के कुल 157 गोदाम हैं, जिनकी भंडारण क्षमता 2.10 लाख मीट्रिक टन है। इन सभी गोदामों का फेडरेशन द्वारा अधिकतम उपयोग किया जाता है और जिन गोदामों की तत्काल आवश्यकता नहीं होती, उन्हें किराए पर देकर आय का स्रोत भी बनाया गया है। चालू वर्ष में गोदाम किराए से फेडरेशन को लगभग ₹6.87 करोड़ की आय हुई है।
अमरेली में ऑयल मिल तथा कच्छ और जूनागढ़ में आम, अनार और खजूर जैसी फसलों के मूल्यवर्धन कर सप्लाई चेन विकसित करने की योजना बनाई गई है। संस्था की भरूच स्थित संपत्ति पर केले के तनों से फाइबर बनाने के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की गई है। इस परियोजना के अंतर्गत क्षेत्र के केले की खेती करने वाले किसानों को निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। यदि किसान स्वयं फाइबर या उससे बने अन्य उत्पाद तैयार करें, तो उनके विपणन की व्यवस्था भी गुजकोमासोल द्वारा की जाएगी। पहले जहां किसानों को खेत से केले के तने निकालने और निस्तारण पर खर्च करना पड़ता था, वहीं अब उसी से आय प्राप्त होगी। इस तरह “वेस्ट से बेस्ट” की सोच के तहत यह किसान-हितैषी, श्रमिक-हितैषी और पर्यावरण-हितैषी प्रोजेक्ट गुजकोमासोल द्वारा सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है।

