मुंबई
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने शुक्रवार को एक कड़ी मांग उठाते हुए कहा कि देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान सभी दलों के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। पार्टी ने चेतावनी दी कि जो राजनीतिक दल बार-बार ‘घोड़ाबाजार’ में शामिल होते हैं या चुनाव में अनुपस्थित रहते हैं, उनकी मान्यता रद्द होनी चाहिए। शिवसेना (उद्धव) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा कि बीआरएस और बीजद जैसे दल केंद्रीय जांच एजेंसियों से डरकर उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहे। पार्टी ने इसे असंवैधानिक करार दिया और कहा कि ऐसे बर्ताव से लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर होती है। नौ सितंबर को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने विपक्ष के बी सुधर्शन रेड्डी को हराकर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में कुल 15 मतदान अमान्य पाए गए थे। राधाकृष्णन को 452 और रेड्डी को 300 मत मिले। मतदान में बीआरएस और बीजेडी ने भाग नहीं लिया था, जबकि राज्यसभा में बीआरएस के चार और बीजेडी के सात सांसद हैं। वहीं, अकाली दल के सांसदों ने बाढ़ के चलते मतदान में हिस्सा लेने से मना कर दिया था शिरोमणि अकाली दल ने इस चुनाव का बहिष्कार किया। उसने आरोप लगाया कि पंजाब के बाढ़ प्रभावित लोगों को न राज्य सरकार से मदद मिली, न केंद्र से और न ही कांग्रेस से। इसी वजह से वे मतदान से दूर रहे।शिवसेना (उद्धव) ने कहा कि नए उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन को तुरंत कानून बनाना चाहिए, जिससे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों के चुनाव में घोड़ाबाजार पर रोक लगाई जा सके। पार्टी ने सवाल उठाया कि जब भाजपा के सहयोगी दल भी ‘घोड़ाबाजार’ की शिकायत करते हैं, तो चुनाव आयोग क्या कर रहा है।

