नई दिल्ली(वी.एन.झा)। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि जजों को अपनी शक्ति विनम्रता और जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल करनी चाहिए।सीजेआई दिल्ली में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल 2025 के 10वें अखिल भारतीय सम्मेलन में बोल रहे थे। इसमें देशभर से जजों और ट्रिब्यूनल सदस्यों ने हिस्सा लिया था। इस दौरान सीजेआई ने कहा, हमारे पास अपार शक्ति है लेकिन इसे सही जगह उपयोग करना जरूरी है। हमारे सामने आने वाले सभी वादियों को विश्वास होता है कि उन्हें न्याय मिलेगा, इसलिए हमारा निर्णय निष्पक्ष होना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि उनके ये विचार आलोचना नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और सुधार का अवसर हैं, ताकि ट्रिब्यूनल और न्याय व्यवस्था और मजबूत हो सके।
सीजेआई ने कहा कि ज्यूडिशियल ऑफिसर्स के आचरण गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि अब न्यायिक मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास परीक्षा के लिए तीन साल की प्रैक्टिस जरूरी कर दी गई है। उन्होंने कहा, इसका कारण यह है कि बिना अनुभव वाले युवा ग्रेजुएट जज बनने के बाद पहले ही दिन वरिष्ठ वकीलों को दबाने लगते हैं। हाल ही में एक हाईकोर्ट में ऐसा हुआ, जहां एक युवा वकील जज की फटकार से बेहोश हो गया। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह नियम दोबारा लागू करने का मकसद यही है कि उम्मीदवार अदालत की प्रक्रिया समझने के बाद ही जज बनें। उन्होंने मार्टिन लूथर किंग के भाषण का जिक्र करते हुए कहा, “हमें ऐसे नेता चाहिए जो पैसे या शोहरत के नहीं, बल्कि न्याय और मानवता के प्रेमी हों। gujaratvaibhav.com

