मुंबई
देश मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने महाराष्ट्र में बुधवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र के सभी अंग कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका देश के नागरिकों के कल्याण के लिए हैं और कोई भी इनको अलग-थलग नहीं कर सकता है।दरअसल, देश मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई मुंबई स्थित महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एमएनएलयू) परिसर में परियोजना आरंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता, न्याय और समानता के सिद्धांत हमारे संविधान में निहित हैं। सीजेआई ने कार्यक्रम में कहा कि न्यायपालिका के पास न तो तलवार की ताकत है और न ही शब्दों की। जब तक कार्यपालिका इसमें शामिल नहीं होती, न्यायपालिका के लिए न्यायपालिका के साथ-साथ कानूनी शिक्षा को पर्याप्त बुनियादी ढांचा प्रदान करना मुश्किल है।सीजेआई गवई का कहना है कि कानूनी शिक्षा अब अधिक व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ विकसित हो रही है और इसलिए बुनियादी ढाँचा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस कार्यक्रम में बोलते हुए सीजेआई गवई ने उस आलोचना का भी खंडन किया, जिसमें न्यायपालिका के बुनियादी ढाँचे के मामले में महाराष्ट्र सरकार में कमी पाई जाने का दावा किया गया था। उन्होंने कहा कि यह धारणा गलत तथ्यों पर आधारित है।सीजेआई गवई ने न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे के मामले में हमेशा सक्रिय रहने के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सराहना की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में न्यायपालिका को प्रदान किया गया बुनियादी ढांचा सर्वश्रेष्ठ में से एक है। सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि विधि एक विकासशील और गतिशील शाखा है। विधि शिक्षा में एक बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि आज हम जो बुनियादी ढाँचा प्रदान कर रहे हैं, वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के बराबर है।सीजेआई गवई ने आगे कहा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर कहा करते थे कि एक वकील एक सामाजिक इंजीनियर भी होता है जो सामाजिक न्याय के वादे को साकार करता है।

