पूर्व CJI गवई से गले मिले; मोदी-शाह से मिलने पहुंचे
नई दिल्ली (वी.एन.झा)। जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को देश के 53 वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। इसके बाद उन्होंने वहां मौजूद बहन और बड़े भाई के पैर छुए। इस कार्यक्रम में उनके परिवार के लोग शामिल हुए।शपथ के बाद CJI सूर्यकांत ने PM मोदी समेत अन्य लोगों से मुलाकात की। वे पूर्व CJI बीआर गवई से गले मिले। इस समारोह में ब्राजील समेत सात देशों के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज भी राष्ट्रपति भवन पहुंचे।भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार किसी CJI के शपथ ग्रहण में इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी रही। समारोह में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और उनके परिवार के सदस्य भी पहुंचे।इस दौरान पूर्व CJI गवई ने एक नई मिसाल कायम की। शपथ ग्रहण समारोह के बाद उन्होंने अपनी आधिकारिक गाड़ी राष्ट्रपति भवन में ही अपने उत्तराधिकारी जस्टिस सूर्य कांत के लिए छोड़ दी।वर्तमान CJI बीआर गवई का कार्यकाल रविवार 23 नवंबर को खत्म हो गया। उनके बाद अब जस्टिस सूर्यकांत यह जिम्मेदारी संभालेंगे। जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे और उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा।CJI सूर्यकांत ने बेंच जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर के साथ कोर्ट रूम नंबर 1 में आधिकारिक कार्यवाही शुरू की। जस्टिस सूर्यकांत अब पांच मेंबर वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के हेड भी होंगे।सीजेआई सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। उन्होंने 1984 में हिसार से अपनी लॉ यात्रा शुरू की और फिर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए चंडीगढ़ चले गए। इस दौरान उन्होंने कई तरह के संवैधानिक, सर्विस और सिविल मामलों को संभाला, जिसमें यूनिवर्सिटी, बोर्ड, कॉर्पोरेशन, बैंक और यहां तक कि खुद हाई कोर्ट को भी रिप्रेजेंट किया।
सीजेआई सूर्यकांत का पूरा सफर
जुलाई 2000 में सूर्यकांत को हरियाणा का सबसे कम उम्र का एडवोकेट जनरल बनाया गया।
इसके बाद, 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट बनाया गया और 9 जनवरी 2004 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का परमानेंट जज बनाया गया।
जस्टिस सूर्यकांत अक्टूबर 2018 से 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट में अपनी पदोन्नति तक हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर काम किया।
नवंबर 2024 से वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन के तौर पर काम कर रहे थे।
24 नवंबर 2025 सुबह 10 बजे उन्हें देश के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ दिलाई गई।
आने वाले दिनों में जस्टिस सूर्यकांत 8 महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेंगे
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का मामला:21 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने केरल सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें राज्य ने स्थानीय निकाय चुनाव खत्म होने तक स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR प्रक्रिया स्थगित करने की मांग की गई थी। राज्य सरकार चाहती है कि यह प्रक्रिया, जो फिलहाल जारी है, अगले महीने होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के खत्म होने तक स्थगित कर दी जाए। इस मामले की सुनवाई 26 नवंबर को नए CJI की बेंच करेगी।इससे पहले जुलाई, 2025 में बिहार के SIR मामले में उनकी बेंच ने कहा था कि इलेक्शन कमीशन आधार और वोटर कार्ड को SIR के लिए शामिल कर सकता है। अगर कोई अवैधता पाई गई तो अदालत हस्तक्षेप कर सकती है।
तलाक-ए-हसन का मामला:19 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने तलाक-ए-हसन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई की थी। इसमें बेंच ने कहा कि ये मामला 5 जजों की संविधान पीठ को भेजा जा सकता है। पीठ ने पक्षों से उन कानूनी सवालों की सूची मांगी है, जिन पर विचार करना जरूरी होगा। अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
बिल्डर–बैंक नेक्सस के घोटाले का मामला:सितंबर में जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने CBI को 22 दर्ज मामलों के अलावा 6 नए मामले दर्ज करने की अनुमति दी। ये मामले बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों की मिलीभगत से घर खरीदने वालों को धोखा देने से जुड़े हैं।1200 से ज्यादा होमबायर्स ने दावा किया था कि उन्हें कब्जा न मिलने के बावजूद EMIs भरने को मजबूर किया जा रहा है। इस जांच का दायरा NCR से लेकर मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, मोहाली और इलाहाबाद के प्रोजेक्ट्स तक विस्तारित है।
हाईकोर्ट्स द्वारा फैसले लंबित रखने का मुद्दा:अगस्त, 2025 में 4 दोषियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि कई हाई कोर्ट वर्षों तक फैसला सुरक्षित रखकर फाइनल जजमेंट नहीं देते। इससे लोगों को न्याय नहीं मिल पाता।सुप्रीम कोर्ट ने अन्य हाई कोर्टों से भी इस संबंध में जानकारी मांगी थी। देशभर के हाई कोर्टों में रिजर्व जजमेंट के मामलों को भी नए CJI के सामने रखे जाने वाले मुद्दों में शामिल किया जाएगा।
रोहिंग्या शरणार्थी और अवैध घुसपैठ का मामला:
जुलाई, 2025 में जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने रोहिंग्याओं को ‘शरणार्थी’ या ‘अवैध प्रवासी’ मानने और उन्हें अनिश्चितकाल तक हिरासत में रखने से जुड़े मामलों को सुनने के लिए सहमति दी। अगली तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन यह मामला नए CJI के सामने आएगा।
डिजिटल स्कैम या डिजिटल अरेस्ट का मामला:
अंबाला के एक बुजुर्ग दंपति से 1 करोड़ रुपए की ठगी के मामले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने ऐसे सभी मामलों की जांच CBI को सौंप दी। 27 अक्टूबर को बेंच ने डिजिटल अरेस्ट मामलों पर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया और ऐसे मामलों में दर्ज FIRs का ब्योरा मांगा है।
देशद्रोह कानून का मामला:मई 2022 में, जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124A (राजद्रोह) के प्रावधानों की केंद्र सरकार द्वारा पुनः समीक्षा और पुनर्विचार होने तक, देशभर की अदालतों में लंबित सभी राजद्रोह मामलों पर रोक लगा दी थी।
अब राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता सरकार की समीक्षा के अधीन है। यह मामला सुनवाई के लिए आने पर नए CJI के पास जाएगा।

