- भारतीय रेलवे का मौजूदा नेटवर्क लगभग 224 किलोमीटर बढ़ जाएगा, परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत 2,781 करोड़ रुपये
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज रेल मंत्रालय की दो परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है, जिनकी कुल लागत लगभग 2,781 करोड़ रुपये है। इन परियोजनाओं में शामिल हैं: देवभूमि द्वारका (ओखा) – कनालुस दोहरीकरण – 141 किलोमीटर, बदलापुर – कर्जत तीसरी और चौथी लाइन – 32 किलोमीटर । लाइन क्षमता में वृद्धि से गतिशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रेलवे की परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा। ये मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को सुव्यवस्थित करने और भीड़भाड़ को कम करने के लिए तैयार हैं। ये परियोजनाएँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी के नए भारत के विजन के अनुरूप हैं, जो क्षेत्र के लोगों को व्यापक विकास के माध्यम से “आत्मनिर्भर” बनाएगा और उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ाएगा। ये परियोजनाएँ पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत बनाई गई हैं, जिनका उद्देश्य एकीकृत योजना और हितधारक परामर्श के माध्यम से मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता को बढ़ाना है। ये परियोजनाएँ लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी। महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के 4 जिलों को कवर करने वाली ये दोनों परियोजनाएँ भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 224 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी। स्वीकृत मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 585 गाँवों, जिनकी आबादी लगभग 32 लाख है, तक कनेक्टिविटी बढ़ेगी। कनालूस से ओखा (देवभूमि द्वारका) तक स्वीकृत दोहरीकरण से द्वारकाधीश मंदिर तक बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे प्रमुख तीर्थस्थलों तक पहुँच आसान होगी और सौराष्ट्र क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा। बदलापुर-कर्जत खंड मुंबई उपनगरीय गलियारे का हिस्सा है। तीसरी और चौथी लाइन परियोजना मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार करेगी और यात्रियों की भविष्य की माँगों को पूरा करने के साथ-साथ दक्षिण भारत से भी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। कोयला, नमक, कंटेनर, सीमेंट, पीओएल आदि वस्तुओं के परिवहन के लिए यह एक आवश्यक मार्ग है। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 18 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे, पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन माध्यम होने के कारण, जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, तेल आयात (3 करोड़ लीटर) कम करने और CO2 उत्सर्जन (16 करोड़ किलोग्राम) कम करने में मदद करेगा, जो 64 (चौंसठ) लाख पेड़ लगाने के बराबर है।

