अब लैंडर की रफ्तार धीमी की जाएगी, 23 अगस्त को चांद पर लैंड करेगा
बेंगलुरु
भारत का महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान 3 आज अपने एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है। अंतरिक्ष यान से लैंडर ‘विक्रमÓ सफलतापूर्वक अलग हो चुका है। इसरो के मुताबिक- अब 23 अगस्त को शाम 5.45 पर लैंडर चांद की सतह पर लैंडिंग की कोशिश की जाएगी।इससे पहले चंद्रयान 3 पांचवीं और अंतिम कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश कर गया था। लैंडिंग के बाद लैंडर से छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा जो एक चंद्र दिवस यानी धरती के 14 दिन वहां प्रयोग करेगा। इसके साथ ही एक और दिलचस्प बात है कि दुनिया की निगाहें इस बात टिकी हैं कि भारत का चंद्रयान 3 और रूस का लूना -25 में से किसका मिशन चांद पर पहले लैंड करेगा। प्रोपल्शन से अलग होने के बाद लैंडर की प्रारंभिक जांच होगी। इसरो का कहना है कि लैंडर में चार मुख्य थ्रस्टर्स हैं जो उसे चांद की सतह पर उतरने में सक्षम बनाएंगे।साथ ही अन्य सेंसर का भी परीक्षण किया जाएगा। भारत का महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान 3 आज अपने एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है। अंतरिक्ष यान से लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक अलग हो चुका है। इसरो के मुताबिक- अब 23 अगस्त को शाम 5.45 पर लैंडर चांद की सतह पर लैंडिंग की कोशिश की जाएगी।इससे पहले चंद्रयान 3 पांचवीं और अंतिम कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश कर गया था। लैंडिंग के बाद लैंडर से छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा जो एक चंद्र दिवस यानी धरती के 14 दिन वहां प्रयोग करेगा। इसके साथ ही एक और दिलचस्प बात है कि दुनिया की निगाहें इस बात टिकी हैं कि भारत का चंद्रयान 3 और रूस का लूना -25 में से किसका मिशन चांद पर पहले लैंड करेगा। प्रोपल्शन से अलग होने के बाद लैंडर की प्रारंभिक जांच होगी। इसरो का कहना है कि लैंडर में चार मुख्य थ्रस्टर्स हैं जो उसे चांद की सतह पर उतरने में सक्षम बनाएंगे।साथ ही अन्य सेंसर का भी परीक्षण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह सुनिश्चित करना होगा कि ईंधन की खपत कम हो, दूरी की गणना सही हो और सभी गणितीय मानक ठीक हों। सोमनाथ ने कहा कि व्यापक सिमुलेशन (अभ्यास) किए गए हैं, मार्गदर्शन डिजाइन बदल दिए गए हैं। इन सभी चरणों में आवश्यक प्रक्रिया को नियंत्रित करने और उचित लैंडिंग करने का प्रयास करने के लिए बहुत सारे एल्गोरिदम लगाए गए हैं।गौरतलब है कि इसरो ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद से तीन हफ्तों में चंद्रयान-3 को चंद्रमा की पांच से अधिक कक्षाओं में चरणबद्ध तरीके से स्थापित किया है। एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया के तहत यान को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर सफलतापूर्वक भेजा गया। चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग करने और घूमने में शुरू से अंत तक क्षमता प्रदर्शित करने के लिए चंद्रयान-2 (2019) का अगला अभियान है।