नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के ऑडिट में द्वारका एक्सप्रेसवे की निर्माण लागत को लेकर उठाए गए सवालों पर नाराजगी जताई। गडकरी ने इसका कारण अपने मंत्रालय के स्तर पर प्रतिक्रिया नहीं दिए जाने को लेकर बताया है। मंत्रालय के सूत्रों ने शुक्रवार (18 अगस्त) को कहा कि गडकरी ने इस मामले में कुछ जिम्मेदार अधिकारियों के असंतुलित रवैये को लेकर असंतोष जताया है। उन्होंने कैग की तरफ से जताई गई आशंकाओं को समय पर दूर करने में नाकाम रहने की जवाबदेही तय करने का निर्देश भी दिया है। कैग ने हाल ही में जारी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कहा है कि द्वारका एक्सप्रेसवे की प्रति किलोमीटर निर्माण लागत 18.2 करोड़ रुपये के शुरुआती अनुमान से ‘बहुत अधिकÓ 251 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर हो गई। इसे लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर हमलावर तेवर अपनाए हुए हैं।विवाद बढ़ने के बाद सड़क परिवहन मंत्रालय ने अपने स्तर पर स्थिति साफ करने की कोशिश की है, लेकिन कैग की आशंकाओं को लेखा परीक्षण के समय ही दूर न किए जाने को लेकर गडकरी संबंधित अधिकारियों के रवैये से खुश नहीं हैं। भारतमाला परियोजना के पहले चरण के तहत 5,000 लेन किलोमीटर का यह एक्सप्रेसवे 91,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाने का प्रस्ताव 10 अगस्त, 2016 को स्वीकृत हुआ था, लेकिन इसकी निर्माण लागत बाद में काफी बढ़ गई। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने द्वारका एक्सप्रेस के हरियाणा वाले हिस्से को ‘एलिवेटेडÓ मार्ग के रूप में बनाने का फैसला किया। इससे इसकी निर्माण लागत बढ़कर 251 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर हो गई जबकि पुराना अनुमान 18।2 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर का ही था। निर्माण लागत में आए इस उछाल पर सवाल उठने के बाद मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्र पहले ही कह चुके हैं कि कैग ने एक्सप्रेसवे के निर्माण की वास्तविक लागत को ध्यान में नहीं रखा है।