निचली कक्षा में लाने के लिए थ्रस्टर फायर किए, लैंडर ने चंद्रमा की तस्वीरें भेजी
डीबूस्टिंग का दूसरा ऑपरेशन 20 अगस्त को रात 2 बजे परफॉर्म करेगा
बेंगलुरु। भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 धीरे-धीरे चंद्रमा के करीब पहुंचता जा रहा है। गुरुवार को लैंडर मॉड्यूल के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के ठीक बाद चंद्रयान-3 ने चांद की पहली तस्वीर भेजी है, जो बेहद खूबसूरत है। चंद्रयान-3 के लैंडर इमेजर लगे कैमरा-1 से 17/18 अगस्त को ये तस्वीर ली गई थी। भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने इसका वीडियो बनाकर ट्विटर पर शेयर किया है। चंद्रमा तक जाने के लिए चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को करीब 100 किमी की दूरी खुद तय करनी है। 18 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल की डीबूस्टिंग हुई। डीबूस्टिंग की प्रक्रिया में लैंडर की स्पीड कम हो जाती है। इसरो ने डीबूस्टिंग के जरिए चंद्रयान की कक्षा घटाई है। डीबूस्टिंग यानी स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार को धीमी करना।इसरो अब डीबूस्टिंग का दूसरा ऑपरेशन 20 अगस्त को रात 2 बजे परफॉर्म करेगा। इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 30 किमी और अधिकतम दूरी 100 किलोमीटर रह जाएगी। सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा। इससे पहले 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया था। सेपरेशन के बाद लैंडर ने प्रोपल्शन मॉड्यूल से कहा- थैक्स फॉर द राइड मेट।
भारत के स्पेस मिशन को ‘उड़ानÓ के लिए ज्यादा फंड और बड़े रॉकेटों की जरूरत : पूर्व इसरो चीफ
इस बीच चंद्रयान-3 मिशन को लेकर भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेश के पूर्व प्रमुख के सिवन ने कहा है कि भारत के च्मंगल मिशनज् की लागत बेशक कुछ हॉलीवुड फिल्मों की तुलना में कम हो सकती है। हालांकि, हमें भविष्य में ऐसे मिशन के लिए ज्यादा फंड और बड़े रॉकेटों के लिए रास्ता बनाना होगा। सिवन ने लूनर मिशन और चंद्रयान-3 को लेकर कई अहम सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा, हमें बड़े रॉकेट और बड़े सिस्टम की जरूरत है। हम सिर्फ कम लागत वाले इंजीनियरिंग के भरोसे नहीं रह सकते। हमें इससे आगे जाकर सोचना होगा।ज्ज् सिवन ने कहा, हमें हाई-पावर रॉकेट और हाई-लेवल टेकनीक की भी जरूरत है। इसके लिए इस सरकार ने काफी कुछ किया है, जो अच्छी बात है। सरकार ने स्पेस एक्टिविटी को प्राइवेट इंडस्ट्री के लिए खोल दिया है।ज्ज्पूर्व इसरो प्रमुख ने कहा कि प्राइवेट इंडस्ट्री स्पेस साइंस में दिलचस्पी दिखा रही है। इसके नतीजे भी दिखने लगे हैं। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि वे जल्द ही हाई-एंड तकनीक भी अपनाने में काबिल होंगे। मेरे ख्याल से इसमें इंवेस्टमेंट कोई समस्या नहीं होगी।