कुकी संगठन की पीएम से गुहार: हमारी बुद्धिजीवियों पर से केस हटाएं
नई दिल्ली। मणिपुर मामले पर तीन महिला जजों की कमेटी ने 3 रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से कहा कि लोगों के जरूरी डॉक्यूमेंट्स खो गए हैं, उन्हें फिर से जारी किया जाए।मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। रिपोर्ट पेश करने के बाद पूर्व जस्टिस मित्तल ने कोर्ट से कहा कि मुआवजा योजना में बदलाव किए जा सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते पहले 7 अगस्त की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के 3 जजों की कमेटी बनाने का निर्देश दिया था। महिला जजों की कमेटी में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रहीं गीता मित्तल हेड थीं, उनके साथ दो अन्य सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) शालिनी पी जोशी और जस्टिस (रिटायर्ड) आशा मेनन ने मणिपुर में राहत और पुनर्वास पर रिपोर्ट तैयार की।सोमवार (21 अगस्त) को ष्टछ्वढ्ढ डीवाई चंद्रचूड़ ने रिपोर्ट मिलने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मदद मांगी। इसके बाद कहा कि इन रिपोर्ट्स की कॉपी केस से जुड़े वकीलों को दी जाएगी, ताकि वे अपने सुझाव बता सकें।वहीं कुकी संगठन कुकी इन्पी मणिपुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि हमारे एकेडमीशियंस पर लगे केस वापस लिए जाएं। पीएम को भेजे मेमोरेंडम में कुकी इन्पी मणिपुर ने कहा कि हमारे कई स्कॉलर्स, लेखक और समुदाय के नेताओं को लगातार धमकी मिल रही है और उनका हैरेसमेंट किया जा रहा है।कुकी संगठन ने ये भी कहा कि कुकी समुदाय के लोगों पर किए गए केस से रिसर्च वर्क, एकेडमिक एक्टिविटीज और अभिव्यक्ति की आजादी प्रभावित हो रही है।संगठन का ये भी कहना है कि हमारे पढ़े-लिखे लोगों पर लगाए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। कुकी नेता, हमारे सोशल एक्टिविस्ट्स और स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन जो कई मंचों पर हमारी बातें रखते हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। ये एक तरह से हमारी आवाज दबाने की कोशिश है।