नई दिल्ली (वी.एन.झा) । सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने एक बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि अनुच्छेद 35 ने नागरिकों के कई मौलिक अधिकारों को छीन लिया है। इसने नागरिकों से जम्मू- कश्मीर में रोजगार, अवसर की समानता, संपत्ति अर्जित करने के अधिकार छीना है। ये अधिकार खास तौर पर गैर-निवासियों से छीने गए हैं। CJI ने आगे कहा कि राज्य के अधीन किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता, अचल संपत्ति अर्जित करने का अधिकार और राज्य सरकार के तहत रोजगार का अधिकार आता है। ये सब ये अनुच्छेद नागरिकों से छीनता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि ये निवासियों के विशेष अधिकार थे और गैर-निवासियों के अधिकार से बाहर किए गए। उन्होंने कहा कि संवैधानिक सिद्धांत के अनुसार, भारत सरकार एक एकल इकाई है। भारत सरकार एक शाश्वत इकाई है। बता दें कि CJI ने यह बात तब कही जब केंद्र की ओर से एसजी तुषार मेहता ने कहा कि पहले की गलती का असर आने वाली पीढ़ियों पर नहीं पड़ सकता है। हमने 2019 में पिछली गलती को सुधार लिया है। इसपर CJI ने कहा कि एक स्तर पर आप सही हो सकते हैं कि भारत का गणतंत्र एक दस्तावेज है जो जम्मू-कश्मीर संविधान की तुलना में उच्च मंच पर है। लेकिन एक और बात यह है कि आपने यह जताने की कोशिश की है कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा विधानसभा थी, लेकिन विधानसभा संविधान सभा नहीं है। यह सही नहीं हो सकता है क्योंकि अनुच्छेद 238 संविधान सभा की मंज़ूरी के बाद ही विषयों को राज्य के दायरे में लाता है। इसलिए इसे केवल विधानसभा कहना सही नहीं हो सकता है।