- जज बोले- लोगों को मजबूर नहीं किया जा सकता, आप अभियान चलाएं, लोगों को जागरूक करें
अहमदाबाद
मुंबई बेस गुजराती विधयक मंच द्वारा वकील ध्रुविन भूपतानी के माध्यम से गुजरात उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें सार्वजनिक और निजी स्थानों में गुजराती भाषा के उपयोग पर राज्य सरकार के 18 फरवरी, 2022 प्राधिकरण के कार्यान्वयन के लिए आदेश देने की मांग की गई थी। इस मामले की सुनवाई आज गुजरात हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और अनिरुद्ध माई की पीठ के समक्ष हुई. याचिका पर याचिकाकर्ता ने मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल से कहा कि गुजरात में हर जगह गुजराती का इस्तेमाल होता है, मैं भी गुजराती समझ सकता हूं। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि सार्वजनिक स्थानों के नाम, निर्देश आदि गुजराती में होते हैं. लेकिन यह हर जगह पूरी तरह से लागू नहीं है. इसकी विशेष आवश्यकता निजी शॉपिंग मॉल, सिनेमा, रेस्तरां आदि में होती है। चीफ जस्टिस ने कहा, मैं ज्यादातर साइनबोर्ड गुजराती भाषा में ही देखता हूं। निजी व्यक्तियों पर जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता। आप इसके लिए अभियान चलायें, लोगों को जागरूक करें। याचिकाकर्ता ने इसके लिए कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की. जज ने कहा, इसके लिए बैठक कर लोगों को जागरूक करें. लोगों पर दबाव न डालें. लोगों को मातृभाषा के प्रयोग संबंधी कानूनों के प्रति जागरूक करें। इस मुद्दे पर न्यायाधीश ने आदेश दिया कि प्राधिकरण सरकार द्वारा घोषित गुजराती भाषा के उपयोग पर परिपत्र को उचित भावना से लागू करे। बता दें कि कुछ दिन पहले हाईकोर्ट में अंग्रेजी भाषा के साथ गुजराती भाषा को व्यवहारिक तौर पर लागू करने संबंधी अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया था।