आज के शिक्षक कल के स्वर्णिम भारत के निर्माता हैं:सीएम, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने 34 शिक्षकों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया
गांधीनगर। शिक्षक दिवस पर आज गांधीनगर के विद्या रिव्यू सेंटर में आयोजित गरिमामय समारोह में राज्यपाल आचार्य देवव्रत एवं मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने 34 शिक्षकों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया। राज्य के 11 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को पुरस्कार भी प्रदान किये गये। इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल्ल पानशेरिया और मुख्य सचिव राजकुमार उपस्थित थे। 35 वर्षों तक गुरुकुल में विद्यार्थियों को शिक्षा देने वाले राज्यपाल आचार्य देवव्रत आज भी स्वयं एक शिक्षक के रूप में जाना जाना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा, आज मुझे बेहद खुशी हो रही है कि मुझे अपने परिवार के पास आने का मौका मिला। राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने कहा कि आजीविका के लिए अनेक पेशे-व्यापार-उद्योग हैं, लेकिन सभी कर्मों में शिक्षक का कर्म अत्यंत पवित्र एवं महत्वपूर्ण है। दान का महत्व है लेकिन विद्या से बड़ा कोई दान नहीं है। एक शिक्षक-गुरुजन बच्चे की मुद्रा और दिशा बदल सकते हैं। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने राज्य पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों को बधाई देते हुए उन्हें स्वर्णिम भारत के भविष्य के वास्तुकार के रूप में सम्मानित किया। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाकर अमृत काल में प्रवेश कर चुका है। उन्होंने कहा कि इस अमर युग में और 21वीं सदी में, शिक्षक समुदाय को एक सक्षम पीढ़ी तैयार करने के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान देना होगा जो भारत को ज्ञान और विज्ञान की महाशक्ति बनाएगी। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने स्पष्ट विचार व्यक्त किया कि वेदों से लेकर वेब और उपनिषदों से लेकर उपग्रहों तक हमारी संस्कृति की विकास यात्रा में शिक्षा और शिक्षकों ने सकारात्मक भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि सरकार स्कूल बनाती है, बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराती है, शिक्षकों की भर्ती करती है, लेकिन स्कूल का जीवन केवल शिक्षक ही पूरा कर सकता है। शिक्षा मंत्री डॉ. कुबेर डिंडोर ने सरस्वती भक्त प्रदेश के श्रेष्ठ शिक्षकों का स्वागत किया और कहा कि शिक्षक समाज की सर्वोत्तम पूंजी हैं।