- राज्य में 5 साल से कम उम्र के 1.5 लाख बच्चे कुपोषित, 43 लाख बच्चे एनीमिया से पीड़ित
अहमदाबाद। पूरे देश में सितंबर को ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ के रूप में मनाया जाता है, तो गुजरात में कुपोषण की स्थिति पर नजर दौड़ाए तो 5 वर्ष से कम उम्र के 1.5 लाख बच्चे बौनेपन (ऊंचाई के अनुसार कम वजन) का शिकार हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के अनुसार, गुजरात में 15-49 आयु वर्ग की 1.26 करोड़ महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। जबकि राज्य में 5 साल से कम उम्र के 79.7 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी है। जो देश में सबसे ज्यादा है। गुजरात में 25.1 फीसदी अविकसित और 39.7 फीसदी कम वजन वाले बच्चे हैं। बिहार के बाद देश में कुपोषित बच्चों की संख्या सबसे अधिक है। गुजरात के आदिवासी जिलों पंचमहल, दाहोद, नर्मदा में प्रति जनसंख्या अधिक कुपोषित बच्चे हैं। जबकि दाहोद, तापी, डांग में कुपोषित महिलाओं का अनुपात अधिक है। बता दें कि इससे पहले राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के एक अध्ययन में पाया गया था कि गुजरात में औसतन केवल 33 प्रतिशत माताएं ही बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराती हैं। राज्य में 5 साल से कम उम्र के 79.7 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, राज्य के आदिवासी जिलों में कुपोषण की दर सबसे अधिक है। इन जिलों में दाहोद, तापी, डांग प्रमुख हैं। राज्य में 5 वर्ष से कम उम्र के 23.39 बच्चे हैं जिनका कुपोषण के कारण शारीरिक विकास रुका हुआ है। जबकि 43 लाख बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। 97 प्रतिशत खर्च के बावजूद गुजरात में स्थिति गंभीर : लोकसभा में केंद्र सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, 2018-19 से 2022-23 तक पांच साल के दौरान पोषण अभियान के तहत केंद्र सरकार ने गुजरात को 304 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। जिसमें से 296 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। हालाँकि, गुजरात में पोषण की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।