गांधीनगर। गुजरात प्राकृतिक कृषि विज्ञान युनिवर्सिटी के नामानिधान विधेयक को शासक और विपक्ष के सभी सदस्यों द्वारा सर्वानुमति से स्वीकार करने पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सभी विधायकों का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि का दायरा बढ़ेगा तो मनुष्य और धरती का स्वास्थ्य सुधरेगा। पर्यावरण भी सुधरेगा और किसानों की आय दोगुनी होगी। गुजरात विधानसभा सदन के साथी पक्षों सहित तमाम सदस्यों ने प्रदेशहित में इस विधेयक को सर्वानुमति से पारित किया, इसके लिए राज्यपालश्री ने सभी को अभिनन्दन देते हुए उनका अंत:करणपूर्वक आभार जताया है। राज्यपाल ने आज गुजरात विधानसभा अध्यक्ष श्री शंकर चौधरी को एक पत्र प्रेषित कर सदन के नेता और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, साथी पक्ष के नेता अमित चावड़ा और सदन के सभी विधायकों का आभार व्यक्त किया है। इस पत्र में राज्यपाल ने लिखा है कि “कृषि विज्ञान युनिवर्सिटी” नामानिधान हो, यह सामान्य नजर आने वाली घटना है लेकिन यह ना सिर्फ गुजरात वरन् समग्र भारत के भविष्य को ज्यादा उज्जवल बनाने वाली घटना है।
एक देशी गाय के गोबर-गौमूत्र से बिल्कुल कम खर्च पर होने वाली प्राकृतिक खेती से किसानों की आय तो दोगुनी होगी ही, साथ ही समाज का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। जानलेवा रोगों से मुक्ति मिलेगी और पर्यावरण भी सुधरेगा। प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ेगा तो देश में सोने का सूर्योदय होगा, ऐसा कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगा। गुजरात प्राकृतिक कृषि विज्ञान युनिवर्सिटी नामानिधान से युनिवर्सिटी की कार्यक्षमता में नयी शक्ति जुड़ेगी। इतना ही नहीं, प्राकृतिक कृषि के विज्ञान को अधिकृत स्वीकृति मिलेगी।