12 साल बाद इतिहास दोहरा सकता है भारत, पाकिस्तान के बीच बहुप्रतीक्षित मैच का गवाह भी नरेंद्र मोदी स्टेडियम ही होगा
अहमदाबाद। वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप की शुरुआत गुजरात के नरेंद्र मोदी स्टेडियम से होगी और फ़ाइनल मुक़ाबला भी यहीं खेला जाएगा भारत और पाकिस्तान के बीच बहुप्रतीक्षित मैच का गवाह भी अहमदाबाद स्टेडियम ही होगा। क्रिकेट के महाकुंभ का बिगुल बजने में कुछ घंटे शेष रह गए हैं। भारत कुल चौथी बार और 12 साल के अंतराल के बाद पूर्ण रूप से पहली बार वनडे विश्वकप की मेजबानी करने जा रहा है। पांच अक्तूबर से 19 नवंबर के दौरान 46 दिनों तक क्रिकेट का जुनून सिर चढ़कर बोलेगा। इस दौरान 10 शहरों में 10 टीमों के बीच 48 मुकाबले खेले जाएंगे। 1975 में क्रिकेट के विश्वकप की शुरुआत जब इंग्लैंड में हुई तो कोई भी मेजबान देश 2007 तक विश्व चैंपियन नहीं बन सका। 2011 में भारत ने यह सिलसिला तोड़ा और विश्व चैंपियन बनने वाला पहला मेजबान देश बना। तब से 2019 के अंतिम विश्व कप तक मेजबान देश को ही विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल हो रहा है। इस बार भारत मेजबान है, ये हैं तो तथ्य, लेकिन टीम इंडिया के पक्ष में काफी कुछ इशारा कर रहे हैं। विश्वकप के इतिहास में ऑस्ट्रेलिया के बाद सबसे सफल टीम भारत है। 1983 और 2011 में विश्वकप जीतने वाली भारतीय टीम को 2003 के विश्वकप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार मिली। चार बार भारतीय टीम सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है। 1987 में उसे इंग्लैंड ने, 1996 में श्रीलंका ने, 2015 में ऑस्ट्रेलिया ने और 2019 में उसे न्यूजीलैंड से हार मिली। 2007 के बाद से भारतीय टीम हर विश्वकप में सेमीफाइनल या उससे आगे बढ़ती आई है। रोहित शर्मा, विराट कोहली, शुभमन गिल, केएल राहुल, जसप्रीत बुमराह, कुलदीप यादव पर टीम की निर्भरता ज्यादा रहेगी। इन क्रिकेटरों का हाल में प्रदर्शन भी अच्छा रहा है। भारत की ताकत उसकी उच्च क्रम की बल्लेबाजी है।
भारत को मेजबान होने का लाभ भी मिलेगा। चोट के बाद वापसी कर रहे बुमराह के आने से और मोहम्मद सिराज की जबरदस्त फॉर्म से भारतीय गेंदबाजी भी मजबूत हो गई है। कुलदीप यादव अन्य टीमों पर बड़ा अंतर साबित होंगे। एशिया कप से पहले टीम का मध्य क्रम चिंता का विषय था, लेकिन राहुल और ईशान किशन की वापसी ने इसे भी दूर कर दिया है। वैसे तो टीम संतुलित नजर आ रही है, लेकिन बल्लेबाजी क्रम में गहराई नहीं होना चिंता बन सकता है। बल्लेबाजी बिखरने पर कुलदीप, बुमराह, सिराज से भी योगदान की उम्मीद करनी होगी। ऑस्ट्रेलिया विश्वकप की सबसे सफल टीम है। भारत में 1987 में विश्व चैंपियन बनने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने 1999, 2003, 2007 मेंं खिताब की हैट्रिक लगाई और 2015 में अपने ही देश में विश्व चैंपियन बने। 2019 में उसे सेमीफाइनल में हार मिली थी। मिचेल मार्श, ग्लेन मैक्सवेल, कैमरन ग्रीन बतौर ऑलराउंडर भारतीय धरती पर बेहद खतरनाक साबित होंगे। मार्श और मैक्सवेल को आईपीएल में खेलने के कारण भारतीय पिचों का खासा अनुभव है, जो उनके यहां काम आएगा। डेविड वॉर्नर अगर अपने पुराने रंग में आ गए तो ऑस्ट्रेलिया को लंबी छलांग लगवाएंगे। हेजलवुड, पैट कमिंस के रूप में उनकी गेंदबाजी जोड़ी भी अच्छी है। विश्वकप का जनक इंग्लैंड अपने ही घर में पहली बार 2019 में विजेता बना। इंग्लैंड के सामने अपने खिताब को बरकरार रखने की चुनौती है। यह काम आसान नहीं होगा। विश्वकप इतिहास की अगर सबसे दुर्भाग्यशाली टीमों की बात आएगी तो न्यूजीलैंड का नाम सबसे ऊपर होगा। यह टीम पिछले दो विश्वकप की फाइनलिस्ट है और 2007 से हर विश्वकप के सेमीफाइनल में प्रवेश करती आई है, लेकिन उसे आज तक विश्व चैंपियन बनना नसीब नहीं हुआ है। अफगानिस्तान ने विश्वकप में पदार्पण 2015 में किया था। 2019 में भी यह टीम विश्वकप में खेली। दोनों विश्वकप में अफगानिस्तान 15 मैच खेल चुका है, लेकिन उसके हिस्से में सिर्फ एक जीत आई है।