नई दिल्ली। बिहार में जाति जनगणना को लेकर दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार सरकार को उसके जाति सर्वेक्षण के और आंकड़े प्रकाशित करने से रोकने से इनकार कर दिया और कहा कि वह राज्य को कोई भी नीतिगत निर्णय लेने से नहीं रोक सकता। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने पटना हाईकोर्ट के एक अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक औपचारिक नोटिस जारी किया, जिसमें बिहार में जाति सर्वेक्षण को मंजूरी दी गई थी। इसने मामले में अगली सुनवाई जनवरी में होगी। दरअसल, याचिकाकर्ता ने जातिगत जनगणना का विरोध किया है। तीन अक्तूबर को याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा था कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण के आंकड़े प्रकाशित कर दिए हैं। ऐसे में इस पर जल्द सुनवाई की जानी चाहिए। इस पर अदालत ने सुनवाई के लिए छह अक्तूबर की तारीख दी थी। बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने बीते सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए थे। लोकसभा चुनाव से पहले जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 फीसदी है।